सुशांत सुप्रिय के कहानी संग्रह पर सुषमा मुनीन्द्र
समाज की दशा और दिशा – पाँचवी दिशा सुषमा मुनीन्द्र सुषमा मुनीन्द्र कविता, कहानी, अनुवाद, कथेतर गद्य जैसी रचनाधर्मिता से अपने रचना संसार को समृद्ध...
समाज की दशा और दिशा – पाँचवी दिशा सुषमा मुनीन्द्र सुषमा मुनीन्द्र कविता, कहानी, अनुवाद, कथेतर गद्य जैसी रचनाधर्मिता से अपने रचना संसार को समृद्ध...
सौमित्र सौमित्र की कविताएँ घर आँगन से होती हुई प्रकृति के विशाल फलक तक तो जाती ही हैं वे उम्मीद और प्रेम सहेजे रखना भी जानती हैं। स्नोतकोत्तर की पढ़ाई के बाद...
आरम्भ का कवि और अन्त का द्रष्टा पंकज कुमार बोस कुँवर नारायण कुँवर नारायण हमेशा एक मनुष्य और कवि के रूप में सार्थकता की तलाश करते रहे, लेकिन जीवन से कभी कोई...
Normal 0 false false false EN-US X-NONE HI कंथा श्याम बिहारी श्यामल सुपरिचित कथाकार श्याम बिहारी श्यामल ने अपनी इस कृति में प्रसाद का जीवन-चित्र तो आँका ही है, बीसवीं सदी...
उपन्यास अंश लाल क्षितिज का पक्षी भरत प्रसाद जे0एन0यू0 अर्थात् ‘जानते नहीं तुम’ या ‘जीवन को न करो उदास’। चाहो तो जे0एन0यू0 का गूढ़ार्थ ‘‘जाम नहीं है उपेक्षणीय’’। वैसे तो मध्यकालीन...
मिथिलेश अपने कहन में अलग तरह के मुहावरे रचने वाले कवि हैं जो उनकी कविता को सीधे-सीधे लोक संवेदना से जोड़ता है। उनकी कविता में गंवई संस्कृति की अनुगूँज तो है ही...
Normal 0 false false false EN-US X-NONE HI नया रास्ता खोजती कविताएं - राहुल देव हरे प्रकाश उपाध्याय समकालीन कविता का एक प्रमुख युवा स्वर हैं। सन 2009 में ‘खिलाड़ी दोस्त...
Normal 0 false false false EN-US X-NONE HI MicrosoftInternetExplorer4 वसंत सकरगाए बहुत समय से कविताएँ लिख रहे हैं। उनकी कविता 'हरसूद में बाल्टियों' से लेकर 'आज के दिन जन्मे हुए बालक'...
जयश्री रॉयजयश्री रॉय की कहानियाँ हम अनहद कोलकाता पर पहले भी पढ़ चुके हैं। जयश्री रॉय हिन्दी की चर्चित कथाकार हैं। उनकी कहानियों का रेंज बहुत व्यापक है। अपनी भिन्न कहन एवं...
अनहद कोलकाता साहित्य और कलाओं की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है। डिजिटल माध्यम में हिंदी में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ‘अनहद कोलकाता’ का प्रकाशन 2009 से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है। यह पत्रिका लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रगतिशील चेतना के प्रति प्रतिबद्ध है। यह पूर्णतः अव्यवसायिक है। इसे व्यक्तिगत संसाधनों से पिछले 12 वर्षों से लागातार प्रकाशित किया जा रहा है। अब तक इसके 500 से भी अधिक एकल अंक प्रकाशित हो चुके हैं।
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