वैसे ही आऊँगा
मंदिर की घंटियों की आवाज के साथरात के चौथे पहरजैसे पंछियों की नींद को चेतना आती हैकिसी समय के बवडर मेंखो गएकिसी बिसरे साथी केजैसे दो अदृश्य हाथउठ आते हैं हार गए...
मंदिर की घंटियों की आवाज के साथरात के चौथे पहरजैसे पंछियों की नींद को चेतना आती हैकिसी समय के बवडर मेंखो गएकिसी बिसरे साथी केजैसे दो अदृश्य हाथउठ आते हैं हार गए...
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