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देश भीतर देश – प्रदीप सौरभ (एक अंश)

प्रदीप सौरभअभी कुछ दिन पहले ही प्रदीप सौरभ का आने वाला उपन्यास “देश भीतर देश” पढ़कर खत्म किया है। मैं कुछ उन सौभाग्यशालियों में हूं जिन्हें यह उपन्यास एक दम टटका-टटका पढ़ने को मिला।...

राहुल सिंह एक अलग अंदाज में

बहुत पहले यहां  राहुल सिंह की कविताएं आप पढ़ चुके हैं..। राहुल एक अच्छे कथाकार भी हैं..। कई कहानियां चर्चित हो चुकी हैं। अभी-अभी उन्होंने एक नई कहानी लिखनी शुरू की है।...

समकालीन कविता पर नील कमल -2

अभी न होगा मेरा अंत -2नील कमलआलोचक का ज़रूरी काम अच्छी कविताओं को सामने लाने के साथ-साथ कमज़ोर कविता को हतोत्साहित करना भी है("कवियों की पृथ्वी", अरविन्द त्रिपाठी)। बेशक, यह आलोचना का...

निशांत की एक निशांत

निशांत - 9239612662निशांत की यह कविता परिकथा मई-जून, 2010 में छपी थी। निशांत बहुत समय से कविता लेखन में सक्रिय हैं और कविता के लिए उन्हें प्रतिष्टित भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार, 2008,...

‘गोदान’ से जुड़ा वह वाकया याद आता है

कहानी की बात पूछी जाय तो पहला परिचय प्रेमचंद की कहानियों से होता है, और भी कहानियां देखने में आती हैं, लेकिन जो दिल और दिमाग में सीधे-सीधे उतरता है, वह पेमचंद...

विजय कुमार सिंह की पहिलौंठी कविताएं

विजय कुमार सिंह की कविताएं उनके अन्दर मौजूद इनोसेंसी से बनती हैं। यह काबिले गौर है कि इस बिल्कुल नए कवि में शब्द और कथ्य की मासूमियत बची हुई है। मेरा आज...

हिचकी

एक दिन रात के बारह बजे हिचकी उठी और रूकने का नाम नहीं ले रही थी। यह कविता लिखते-लिखते मैं हिचकी के बारे में भूल गया था और जब कविता खत्म हुई...

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