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विमलेश त्रिपाठी की गजलें.

तेरी ज़ुल्फों के आर पार कहीं इक दिल अजनबी सा रहता हैलम्हा लम्हा जो मिला था कि हादिसों जैसावो वक्त साथ मेरे हमनशीं सा रहता हैये जो फैला है हवा में धुंआ-धुंआ...

विमलेश त्रिपाठी, कुछ और कविताएँ

कविता से लंबी उदासीकविताओं से बहुत लंबी है उदासीयह समय की सबसे बड़ी उदासी हैजो मेरे चेहरे पर कहीं से उड़ती हुई चली आई हैमैं समय का सबसे कम जादुई कवि हूँमेरे...

अनहद की तरफ से प्रिय साथियों को होली की ढेर सारी रंग-विरंगी बधाईयाँ.....साथियों हमें बेहद खुशी है कि आप हमारे ब्लॉग को इतनी शिद्दत से पसन्द कर रहे हैं....यह सूचित करते हुए...

सबलोग यहाँ बोलते ही हैं

लेकिन ये अजीब ही बात है कि सबलोग यहाँ बोलते ही हैं, या बोलते रहना चाहते हैं। बोलने वाला सुनना नहीं चाहता, अब वो जमाना नहीं रहा जब लोग बोलते भी थे...

एक युग का अन्त

ज्योति बसु का न होना एक युग का अंत है। जब ऐसे लोग जो अपने सिद्धान्तों व वसूलों के लिए जीवन भर लड़ते रहे, कभी समझौता नहीं किया-- जब नहीं रहते तो...

स्त्रियां

एकइतिहास के जौहर से बच गई स्त्रियांमहानगर की अवारा गलियों में भटक रही थींउदास खुशबू की गठरी लिएउनकी अधेड़ आँखों में दिख रहा थाअतीत की बीमार रातों का भयअपनी पहचान से बचती...

यह समय और हम

यह समय मौकापरस्तों और सट्टेबाजों का समय है। इस समय सबसे ज्यादा खतरा हमारे संस्कृति को है। यह इसलिए कि कभी हमारी संस्कृति की जान समझे जाने वाले जीवन मूल्य आज बेमानी...

अर्थ-विस्तार

जब हम प्यार कर रहे होते हैंतो ऐसा नहीं कि दुनिया बदल जाती हैबस यहीकि हमें जन्म देने वाली मां केचेहरे की हंसी बदल जाती हैहमारे जन्म से ही पिता के मन...

कविता

जैसे एक लाल-पीलीतितलीबैठ गई होकोरे कागज पर नीर्भिकयाद दिला गई होबचपन के दिन....

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