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आइए एक कवि से परिचय किया जाय

रघुराई ।। संपर्कः 09883728063रघुराई जोगड़ा ने ढेर सारी कविताएं लिखी हैं। स्कूली दिनों से लेकर अबतक लिखने का सिलसिला अनवरत जारी है। बीच में कई कहानियां भी लिखीं। लेकिन कहीं भी रचनाएं...

बाबा नागार्जुन को याद करते हुए

हरिजन गाथा – एक मानवीय पाठ­                                                            विमलेश त्रिपाठीनागार्जुन राजनैतिक चेतना संपन्न कवि होने के साथ मानवीय सरोकारों के गहरे चितेरे और मानव मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध कवि हैं। कहना जरूरी नहीं है कि...

कैथरीन मैन्सफ़ील्ड की कविताएं

कैथरीन मैन्सफ़ील्ड (1889-1923) का जन्म न्युजीलैण्ड में हुआ था। इस बार अनहद पर उनकी कुछ कविताएं प्रस्तुत की जा रही हैं। अंग्रेजी से उनकी कविताओं का अनुवाद युवा कवि महेश वर्मा ने किया...

बांग्ला कवि विनय मजुमदार की एक कविता

बांग्ला के विलक्षण कवि विनय मजुमदार के यहां प्रेम कोई आध्यात्मिक वस्तु भले ही न हो किन्तु वह पवित्र अवश्य है- प्रकृति की तरह, फूलों, झरनों, पहाड़ों और नदियों की तरह। यह अस्थि-मज्जा से युक्त रक्त, मांस से भरपूर...

संजय राय की कविताएं

संजय राय की कविताएं इधर कई पत्रिकाओं में आयी हैं। उनकी कविताएं अपनी संक्षिप्तता में एक जादू जैसी हैं जो पाठकों के दिलो-दिमाग पर सीधे असर करती हैं। संजय जलपाईगुड़ी, पं बंगाल...

‘अनहद’ के जनवरी अंक में एक कहानी

पिता                                                   विमलेश त्रिपाठी                                                                                                                             “The child is the father of a man.”                     - William Wordsworth           ।तेइस साल के उस युवक की बातें एक साथ सैकड़ों बरछे की तरह...

ऋतेश की दो कविताएं

ऋतेश काफी समय तक रंगमंच से जुड़े रहे। उन्होंने '..और अंत में प्रार्थना' और 'तख्त-ओ-ताब' जैसे सफल नाटकों का निर्देशन और मंचन किया। नीलांबर नामक साहित्यिक संस्था के गठन में उनकी महत्वपूर्ण...

नील कमल की एक अद्भुद कविता

नील कमल समय के संजीदा कवि हैं । संपर्कः 09433123379एक बार की बात(बच्चों के लिये एक कविता) एक बार की बात सुनो तुम चमकीली वह रात सुनो तुम ।  अपने आंगन में  ...

आज लौटा हूं तो…

मेरा जन्म ऐसे परिवेश में हुआ जहां लिखने-पढ़ने की परम्परा दूर-दूर तक नहीं थी। कहने को हम ब्राह्मण थे, लेकिन मेरे बाबा को  क  भी लिखने नहीं आता था, शायद यही वजह...

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