LATEST BLOG

उसे सुनो कभी अपने एकांत में….

रविन्द्र, सच सिर्फ वही नहीं होता जो दिखता है, उसके आगे भी सच के कई छोर होते हैं। मुझे इस बात का कोई मलाल नहीं कि तुम उन छोरों तक पहुँचने की...

लौट आना चाहता हूँ…..

दोस्तों की शिकायतें बाजिब हैं, लेकिन क्या करूं कि कोई एक कहानी पूरी हो जाय। आपको जानकर शायद ही विश्वास हो कि मेरे पास १५ अधूरी कहानियाँ हैं, जो रोज रात को...

करता हूँ प्यार….

कहते हैं दुनिया जा रही नाउम्मिंदी की ओरसमय की पीठ पर रह गए हैं महजहमारी अच्छाईयों के निशानआज जो दिखतावह एक अंधी दौड़किसे किसकी फिकरभागते लोग बेतहासा स्वयं में सिमटे ऐसे सपनों...

विमलेश त्रिपाठी की गजलें.

तेरी ज़ुल्फों के आर पार कहीं इक दिल अजनबी सा रहता हैलम्हा लम्हा जो मिला था कि हादिसों जैसावो वक्त साथ मेरे हमनशीं सा रहता हैये जो फैला है हवा में धुंआ-धुंआ...

विमलेश त्रिपाठी, कुछ और कविताएँ

कविता से लंबी उदासीकविताओं से बहुत लंबी है उदासीयह समय की सबसे बड़ी उदासी हैजो मेरे चेहरे पर कहीं से उड़ती हुई चली आई हैमैं समय का सबसे कम जादुई कवि हूँमेरे...

अनहद की तरफ से प्रिय साथियों को होली की ढेर सारी रंग-विरंगी बधाईयाँ.....साथियों हमें बेहद खुशी है कि आप हमारे ब्लॉग को इतनी शिद्दत से पसन्द कर रहे हैं....यह सूचित करते हुए...

सबलोग यहाँ बोलते ही हैं

लेकिन ये अजीब ही बात है कि सबलोग यहाँ बोलते ही हैं, या बोलते रहना चाहते हैं। बोलने वाला सुनना नहीं चाहता, अब वो जमाना नहीं रहा जब लोग बोलते भी थे...

एक युग का अन्त

ज्योति बसु का न होना एक युग का अंत है। जब ऐसे लोग जो अपने सिद्धान्तों व वसूलों के लिए जीवन भर लड़ते रहे, कभी समझौता नहीं किया-- जब नहीं रहते तो...

स्त्रियां

एकइतिहास के जौहर से बच गई स्त्रियांमहानगर की अवारा गलियों में भटक रही थींउदास खुशबू की गठरी लिएउनकी अधेड़ आँखों में दिख रहा थाअतीत की बीमार रातों का भयअपनी पहचान से बचती...

Page 28 of 29 1 27 28 29