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Home कविता

करता हूँ प्यार….

by Anhadkolkata
June 25, 2022
in कविता, साहित्य
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कहते हैं दुनिया जा रही नाउम्मिंदी की ओर
समय की पीठ पर रह गए हैं महज
हमारी अच्छाईयों के निशान

आज जो दिखता
वह एक अंधी दौड़
किसे किसकी फिकर
भागते लोग बेतहासा
स्वयं में सिमटे
ऐसे सपनों की गठरी कांधे पर लटकाए
जिनका दुनिया से नहीं कोई सरोकार

सबकी अपनी छोटी-मोटी दुनिया
सबके नीजि झमेले
वह आदमी जो दुनिया को बदलने का
लगा रहा नारा
उसकी जेब में भी उसकी अपनी दुनिया
जिसे वह बार-बार सहलाता- पोसता

इतनी हिंसा
इतने युद्ध
इतनी नफरत के बीच
जहाँ कभी भी मौत की आहट का अंदेशा

ऐसे में मेरे हमदम
दुनिया सुन्दर बनी रहे
इसलिए चलता हूँ रोज एक कदम

क्योंकि मैं इस दुनिया की तरह ही
तुम्हे करता हूँ प्यार….
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Anhadkolkata

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अनहद कोलकाता में प्रकाशित रचनाओं में प्रस्तुत विचारों से संपादक की सहमति आवश्यक नहीं है. किसी लेख या तस्वीर से आपत्ति हो तो कृपया सूचित करें। प्रूफ़ आदि में त्रुटियाँ संभव हैं। अगर आप मेल से सूचित करते हैं तो हम आपके आभारी रहेंगे।

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Comments 1

  1. Brajesh Kumar Pandey says:
    12 years ago

    उम्दा कविता ,समय के धूल- धक्कड़ में धवल प्रेम का आंख मिचमिचाना शीतल फुहार जैसा है .

    Reply

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अनहद कोलकाता साहित्य और कलाओं की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है। डिजिटल माध्यम में हिंदी में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ‘अनहद कोलकाता’ का प्रकाशन 2009 से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है। यह पत्रिका लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रगतिशील चेतना के प्रति प्रतिबद्ध है। यह पूर्णतः अव्यवसायिक है। इसे व्यक्तिगत संसाधनों से पिछले 12 वर्षों से लागातार प्रकाशित किया जा रहा है। अब तक इसके 500 से भी अधिक एकल अंक प्रकाशित हो चुके हैं।

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