आबल-ताबल : नौवीं : ललन चतुर्वेदी
आबल-ताबल – ललन चतुर्वेदी परसाई जी की बात चलती है तो व्यंग्य विधा की बहुत याद आती है।...
आबल-ताबल – ललन चतुर्वेदी परसाई जी की बात चलती है तो व्यंग्य विधा की बहुत याद आती है।...
के. पी. अनमोल हिन्दी ग़ज़ल की दुनिया में एक जाना पहचाना नाम है। अनमोल की गज़लों का संसार...
हेमंत देवलेकर समकालीन कविता के चर्चित हस्ताक्षर हैं । उनकी कविताओं के दायरे को इसी बात से समझा...
आबल-ताबल – ललन चतुर्वेदी परसाई जी की बात चलती है तो व्यंग्य विधा की बहुत याद आती है।...
सुरेन्द्र प्रजापति सुरेन्द्र की कविताएँ भूख, अभाव और शोषण के दुःख से पैदा हुई हैं - यहाँ मैं जानबूझकर ‘लिखी...
आबल-ताबल – ललन चतुर्वेदी परसाई जी की बात चलती है तो व्यंग्य विधा की बहुत याद आती है।...
ज्ञान प्रकाश पाण्डे की ग़ज़लें एक ओर स्मृतियों की मिट्टी में धँसी हुई हैं तो दूसरी ओर वर्तमान समय की...
आबल-ताबल – ललन चतुर्वेदी परसाई जी की बात चलती है तो व्यंग्य विधा की बहुत याद आती...
हर वह व्यक्ति जो अपने मन की बात अपनी भाषा में लिखकर लयबद्ध अभिव्यक्त करता है वह कवि होता है।...
आबल-ताबल – ललन चतुर्वेदी परसाई जी की बात चलती है तो व्यंग्य विधा की बहुत याद आती है।...
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