‘एक देश और मरे हुए लोग’ पर प्रदीप कान्त
सामाजिक सरोकारों को पूरी करती कविताएँ- प्रदीप कान्तमहज लिखनी नहीं होती हैं कविताएँ/शब्दों की महीन लीक पर तय करनी होती है एक पूरी उम्र... कविता के लिये शब्दों की महीन लीक पर...
सामाजिक सरोकारों को पूरी करती कविताएँ- प्रदीप कान्तमहज लिखनी नहीं होती हैं कविताएँ/शब्दों की महीन लीक पर तय करनी होती है एक पूरी उम्र... कविता के लिये शब्दों की महीन लीक पर...
कविता का जनपदडॉ.ऋषिकेश राय1. संग्रह की कविताएं विषयों के अनुसार उपशीर्षकों में विभाजित हैं। आत्माभिव्यक्ति की कविताएं ‘इस तरह मैं’, स्त्री जीवन की कविताएं ‘बिना नाम की नदियां’ शीर्षक के तहत संकलित...
कथाकार एवं आलोचक राकेश बिहारी के अतिथि संपादकत्व में निकट का एक ऐसा अंक छपकर आया है जो अपनी सामग्री और अपने तेवर में बिल्कुल अलहदा और संग्रहणीय है। इसमें 25 कथाकारों...
अर्चना राजहंस मधुकर की कविताएं उनके अपने जीवन की जद्दोजहद से उपजी हैं। इनकी कविताओं में स्त्री की पीड़ा के साथ वह मानवीय पीड़ा भी है जो उन्हें व्यापक जन सरोकार से...
जयश्री रॉयजयश्री रॉय समकालीन युवा कथालेखन के क्षेत्र में एक सुपरिचित नाम हैं। आज अनहद पर पढ़ते हैं उनकी एक चर्चित कहानी कुहासा।कुहासासकाल-सकाल आज न जाने क्यों शरद् के आकाश का रंग...
आखेटक समय का प्रतिपक्ष - राकेश बिहारी(हंस, मार्च, 2013) पुस्तक : दस्तख़त तथा अन्य कहानियां (कहानी-संग्रह)लेखिका : ज्योति कुमारीप्रकाशन : वाणी प्रकाशन, नई दिल्लीमूल्य : 250 रुपये ------------------------------------------------------------------------युवा कथाकार ज्योति कुमारी का पहला कहानी-संग्रह ‘दस्तखत...
युवा कथाकार-आलोचक राकेश बिहारी कथा लेखन के साथ ही आलोचना में भी सक्रिय और महत् हिस्सेदारी रखते हैं। कथा संग्रह वह सपने बेचता था के अलावा अभी-अभी उनकी एक आलोचना की किताब...
Normal 0 false false false EN-US X-NONE HI पंकज पराशर की ये कविताएं उनके पाकिस्तान प्रवास के दौरान लिखी गई हैं – इन कविताओं एक खास विशेषता यह है कि पंकज ने...
Normal 0 false false false EN-US X-NONE HI रामजी यादवरामजी यादव कहानी और कथा दोनों ही विधाओं में समान रूप से सक्रिय हैं। उनकी कहानियों में गांव और कस्बे की विद्रुपताएं अपने...
अनहद कोलकाता साहित्य और कलाओं की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है। डिजिटल माध्यम में हिंदी में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ‘अनहद कोलकाता’ का प्रकाशन 2009 से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है। यह पत्रिका लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रगतिशील चेतना के प्रति प्रतिबद्ध है। यह पूर्णतः अव्यवसायिक है। इसे व्यक्तिगत संसाधनों से पिछले 12 वर्षों से लागातार प्रकाशित किया जा रहा है। अब तक इसके 500 से भी अधिक एकल अंक प्रकाशित हो चुके हैं।
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