ब्रजेश कुमार पांडेय की दो कविताएं
जन्म -बक्सर (बिहार)कथादेश, देशज, परिकथा सहित पत्र -पत्रिकाओं में कविताएँ प्रकाशित। कविताएँ लीलाधर मंडलोई द्वारा सम्पादित किताब "कविता का समय" में भी। अचला...
जन्म -बक्सर (बिहार)कथादेश, देशज, परिकथा सहित पत्र -पत्रिकाओं में कविताएँ प्रकाशित। कविताएँ लीलाधर मंडलोई द्वारा सम्पादित किताब "कविता का समय" में भी। अचला...
ये कविताएं कुछ ही दिन पहले की लिखी हैं। पता नहीं कैसी हैं। बहुत संकोच के साथ मैं इसे आपके...
21 मार्च, 2010• इसका आना शुभ रहा। अब तक यही सोचता हूँ। एक साध पूरी हुई वर्षों की। वैसे ऑफिस...
राकेश जी की यह कविता जब मुझे पढ़ने को मिली तो सचमुच मैं विस्मित रह गया। इस कविता ने मुझे...
समय का बदलना अब फिल्मों के रिलिज होने या एक नए गीत के बजते-बजते पुराने हो जाने से तय होने...
ज्ञानोदय के जून अंक में छपी कहानी चिन्दी चिन्दी कथा पर पाठकों की इतनी अच्छी प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं थी।...
जानने वाले जानते हैं कि इन दिनों मेरा लिखना-पढ़ना लगभग बंद ही रहा। कुणाल, निशांत, प्रफुल्ल कोलख्यान, नीलकमल जैसे मित्रों...
लोहा और आदमीवह पिघलता है और ढलता है चाकू मेंतलवार में बंदूक में सुई मेंऔर छेनी-हथौड़े में भीउसी के सहारे...
सपना गाँव से चिट्ठी आई है और सपने में गिरवी पड़े खेतों कीफिरौती लौटा रहा हूँपथराये कंधे पर हल लादे...
कुछ अरसा पहले वागर्थ के संपादक विजय बहादुर सिंह ने अपने संपादकीय में एक बहुत ही अच्छी कविता लिखी थी।...
अनहद कोलकाता साहित्य और कलाओं की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है। डिजिटल माध्यम में हिंदी में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ‘अनहद कोलकाता’ का प्रकाशन 2009 से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है। यह पत्रिका लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रगतिशील चेतना के प्रति प्रतिबद्ध है। यह पूर्णतः अव्यवसायिक है। इसे व्यक्तिगत संसाधनों से पिछले 12 वर्षों से लागातार प्रकाशित किया जा रहा है। अब तक इसके 500 से भी अधिक एकल अंक प्रकाशित हो चुके हैं।
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2009-2022 अनहद कोलकाता by मेराज.