• मुखपृष्ठ
  • अनहद के बारे में
  • रचनाएँ आमंत्रित हैं
  • वैधानिक नियम
  • संपर्क और सहयोग
No Result
View All Result
अनहद
  • साहित्य
    • कविता
    • कथा
    • अनुवाद
    • आलोचना
    • समीक्षा
    • संस्मरण
    • विविध
  • कला
    • सिनेमा
    • पेंटिंग
    • नाटक
    • नृत्य और संगीत
  • लेखक
  • गतिविधियाँ
  • विविध
  • साहित्य
    • कविता
    • कथा
    • अनुवाद
    • आलोचना
    • समीक्षा
    • संस्मरण
    • विविध
  • कला
    • सिनेमा
    • पेंटिंग
    • नाटक
    • नृत्य और संगीत
  • लेखक
  • गतिविधियाँ
  • विविध
No Result
View All Result
अनहद
No Result
View All Result
Home कथा

राहुल सिंह एक अलग अंदाज में

by Anhadkolkata
June 25, 2022
in कथा, साहित्य
A A

Related articles

अर्चना लार्क की सात कविताएँ

नेहा नरूका की पाँच कविताएँ

बहुत पहले यहां  राहुल सिंह की कविताएं आप पढ़ चुके हैं..। राहुल एक अच्छे कथाकार भी हैं..। कई कहानियां चर्चित हो चुकी हैं। अभी-अभी उन्होंने एक नई कहानी लिखनी शुरू की है। यह कहानी का एक अंश है, लेकिन पढ़ने पर  पूर्णता का-सा आभास देता है। इस अलग तरह की अभिव्यक्ति को आपसे साझा करते हुए बहुत खुशी हो रही है।

                                               एक छोटी-सी प्रेम कथा_________________
उसके आने की कोई आहट, सुनी नहीं कभी, पर अक्सरहां कान उस आहट पर लगे रहे। आती तो उसके पास दुनिया जहां की बातें होती, जाती तो मेरी दुनिया का भी कुछ साथ होता उसके पास।
शायद हर बार थोड़ा उसके साथ मैं भी चला जाता। थोड़ा-थोड़ा जाने का सिलसिला बदस्तूर जारी रहा। वह जाती तो मेरी दुनिया से कई जरुरी चीज गायब मिलते। लाख ढूंढता, नहीं मिलते और जब कभी वह फिर आती, चीजें वापस उसी जगह मौजूद मिलतीं। पूरी जादूगरनी थी। बात करते-करते बिस्तर पर ढलंग जाती और इससे पहले कि आप कुछ कहें वह सो चुकी होती। हाँ मन रखने के लिए उसके सोने के बाद भी उसकी मुस्कराहट थोड़ी देर के लिए जगी रहती और फिर वह भी सो जाती। वैसे उसके सोने के बाद उसका चेहरा भी सो जाता और जब वह जगती तो उसका चेहरा भी जग जाया करता। जब वह सो जाया करती तो मैं बस उसे देखा करता, निःशब्द। फिर मैं भी उसके साथ हो जाया करता, लेटे-लेटे मैं सोचता कि इस वक्त वह नींद की दुनिया में क्या कर रही होगी, जबकि मैं यहाँ हूँ। फिर इस खयाल से मैं डर जाया करता कि अगर वह नींद में सपने देख रही होगी तो मैं तो शर्तिया उसमें नहीं होंउगा क्योंकि मैं तो यहाँ हूँ। इसलिए उसके नींद में दाखिल होने के लिए मैं भी सो जाया करता, बिलकुल उसके पास, सटकर। नींद उसके आँखों के कोरों से उतर कर गालों के मैदानी इलाकों से होती हुई मेरे आँखों में आकर ठहर जाती और वहाँ थोड़ी देर सुस्ताने के बाद अचानक बड़ी तेजी से पूरे देह में पसर जाती। पेट से होते हुए वह तलुवों तक जाती और जब कभी मेरे तलुवे उसके तलुवों को छू जाते तो वह वापस उसके तलुवों के रास्ते उसके आँखों की पुतलियों तक लौट जाती। जब हम नींद में होते तो उसकी सोयी मुस्कराहट भी शरारत करती। मुस्कराहट उसके होंठों से उतर कर मेरे होठों में आ बसती। नींद खुलने पर जैसे ही उसकी निगाह मेरे होंठों में टिकी उसी की मुस्कराहट पर पड़ती, वह बेसाख्ता उसे चुन लिया करती। जब मैं जागता तो उसकी मुस्कराहट का स्वाद अपने होठों पर महसूस करता और हैरत होती।
अब जब वह आती तो उसके आने के साथ मैं चैकन्ना हो जाया करता, खिड़की-दरवाजे सब अच्छी तरह बंद किया करता कि नींद मेरे कमरे में दाखिल न हो, लेकिन … नींद अगर पलकों में ही छिपकर आये तो कोई क्या कर सकता है। वैसे नींद की आहट अब मैं सुनने लगा था, नींद जब आती तो मेरे कमरे की चीजें एक-एक कर गायब होने लगतीं, उनके गायब होने को मैं महसूसता रहता और फिर उन्हें बचाये रखने का एक ही रास्ता था कि खुद भी उन चीजों में शामिल हो जाया जाये। ऐसा करने से जाते वक्त नींद जब चीजें वापस करतीं तो सबसे आखिर में मुझे लौटाती और इस तरह जब मैं जागता तो सभी चीजें वापस अपनी जगह पर होतीं, मैं भी।
उसके जाने के बाद भी उसका अक्स वहीं बिस्तर पर सोया रहता। ठीक वैसे ही बायीं ओर करवट लेकर, और केश अलसाये से उसके दाहिनी गाल पर पड़े रहते, आपस में सटी उसकी हथेलियाँ सोते हुए भी जीती-जागती इबादत सरीखीं लगतीं। उसे सोता हुआ देखकर अक्सरहाँ जी करता कि जाकर उसके गालों पर तर्जनी रख दूं और तोता उड़े-मैना उड़े की तर्ज पर कहूँ कि दुःख उड़े, दुश्चिंता उड़े, संशय उड़े, परेशानी उड़े। एक दिन यूं ही मन में आया कि कहूं प्यार उड़े, तभी उसकी नींद खुली गई और उसने मेरी तर्जनी पकड़ के कहा – नहीं प्यार नहीं उड़े। यह सुन कर मैं भर नींद सोया था, अगली सुबह सभी चीजें सही सलामत थीं, बस तकिये के नीचे एक चेहरा पड़ा था और जिसकी आरजू में रातों का करवट-करवट होना बदा था।

हस्ताक्षर: Bimlesh/Anhad

Tags: राहुल सिंह
Anhadkolkata

Anhadkolkata

जन्म : 7 अप्रैल 1979, हरनाथपुर, बक्सर (बिहार) भाषा : हिंदी विधाएँ : कविता, कहानी कविता संग्रह : कविता से लंबी उदासी, हम बचे रहेंगे कहानी संग्रह : अधूरे अंत की शुरुआत सम्मान: सूत्र सम्मान, ज्ञानपीठ नवलेखन पुरस्कार, युवा शिखर सम्मान, राजीव गांधी एक्सिलेंस अवार्ड

Related Posts

अर्चना लार्क की सात कविताएँ

अर्चना लार्क की सात कविताएँ

by Anhadkolkata
June 24, 2022
3

अर्चना लार्क की कविताएँ यत्र-तत्र देखता आया हूँ और उनके अंदर कवित्व की संभावनाओं को भी महसूस किया है लेकिन इधर की उनकी कुछ कविताओं को पढ़कर लगा...

नेहा नरूका की पाँच कविताएँ

नेहा नरूका की पाँच कविताएँ

by Anhadkolkata
June 24, 2022
3

नेहा नरूका समकालीन हिन्दी कविता को लेकर मेरे मन में कभी निराशा का भाव नहीं आय़ा। यह इसलिए है कि तमाम जुमलेबाज और पहेलीबाज कविताओं के...

चर्चित कवि, आलोचक और कथाकार भरत प्रसाद का एक रोचक और महत्त संस्मरण

चर्चित कवि, आलोचक और कथाकार भरत प्रसाद का एक रोचक और महत्त संस्मरण

by Anhadkolkata
June 24, 2022
4

                           आधा डूबा आधा उठा हुआ विश्वविद्यालय                                                                                भरत प्रसाद ‘चुनाव’ शब्द तानाशाही और अन्याय की दुर्गंध देता है। जबकि मजा यह कि...

उदय प्रकाश की कथा सृष्टि  पर विनय कुमार मिश्र का आलेख

उदय प्रकाश की कथा सृष्टि पर विनय कुमार मिश्र का आलेख

by Anhadkolkata
June 25, 2022
0

सत्ता के बहुभुज का आख्यान ( उदय प्रकाश की कथा सृष्टि से गुजरते हुए ) विनय कुमार मिश्र   उदय प्रकाश ‘जिनके मुख देखत दुख उपजत’...

प्रख्यात बांग्ला कवि सुबोध सरकार की कविताएँ

प्रख्यात बांग्ला कवि सुबोध सरकार की कविताएँ

by Anhadkolkata
June 24, 2022
1

सुबोध सरकार सुबोध सरकार बांग्ला भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित कविता-संग्रह द्वैपायन ह्रदेर धारे के लिये उन्हें सन् 2013 में साहित्य अकादमी पुरस्कार...

Next Post

देश भीतर देश - प्रदीप सौरभ (एक अंश)

नील कमल की एक गज़ल

संजय राय की कविताएं

Comments 4

  1. रविकर says:
    11 years ago

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
    पढ़कर आनंदित हुआ ||
    बधाई ||

    Reply
  2. Patali-The-Village says:
    11 years ago

    बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति| धन्यवाद|

    Reply
  3. Shivanjali srivastava says:
    11 years ago

    Atyant jivant prastuti ! Dhanyavaad padhvaane hetu !!

    Reply
  4. Pawan Kumar says:
    11 years ago

    राहुल सिंह का नया रूप अच्छा लगा….. कहानी सारगर्भित और दिल को छु जाने वाली है….. आपकी प्रस्तुति बेहतरीन है.

    Reply

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अनहद कोलकाता साहित्य और कलाओं की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है। डिजिटल माध्यम में हिंदी में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ‘अनहद कोलकाता’ का प्रकाशन 2009 से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है। यह पत्रिका लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रगतिशील चेतना के प्रति प्रतिबद्ध है। यह पूर्णतः अव्यवसायिक है। इसे व्यक्तिगत संसाधनों से पिछले 12 वर्षों से लागातार प्रकाशित किया जा रहा है। अब तक इसके 500 से भी अधिक एकल अंक प्रकाशित हो चुके हैं।

सर्वाधिकार सुरक्षित © 2009-2022 अनहद कोलकाता by मेराज.

No Result
View All Result
  • साहित्य
    • कविता
    • कथा
    • अनुवाद
    • आलोचना
    • समीक्षा
    • संस्मरण
    • विविध
  • कला
    • सिनेमा
    • पेंटिंग
    • नाटक
    • नृत्य और संगीत
  • लेखक
  • गतिविधियाँ
  • विविध

सर्वाधिकार सुरक्षित © 2009-2022 अनहद कोलकाता by मेराज.