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Home विविध

सबलोग यहाँ बोलते ही हैं

by Anhadkolkata
June 25, 2022
in विविध, विविध, साहित्य
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लेकिन ये अजीब ही बात है कि सबलोग यहाँ बोलते ही हैं, या बोलते रहना चाहते हैं। बोलने वाला सुनना नहीं चाहता, अब वो जमाना नहीं रहा जब लोग बोलते भी थे और सुनते भी थे और परस्पर बोलने और सुनने के बीच से कोई बड़ी बात उभर कर सामने आती थी। अच्छा, आज जितना बोला जा रहा है, पहले क्या इतना बोला जाता था। पहले कम बोलकर लोग अधिक कर गुजरते थे, आज बोलने के नाम पर सभी कमर कसे बैठे हैं और कर गुजरने का वक्त भी इस ‘बोलने ने ही ले लिया है। सोचते हुए एक सोच उभर कर आई कि कितनी पत्रिकाएं, कितनी किताबों के ढेर, और आज के इस इंटरनेटी समय में हजारों ब्लॉग।।। लेकिन रोना वही, साहब कोई देखता तक नहीं, पढ़ने की बात तो दूर है।।
इतने सारे बकवासों के बीच यह बकवास भी क्या उसी बोलने की आवृति..?????…पता नहीं।।।

Anhadkolkata

Anhadkolkata

जन्म : 7 अप्रैल 1979, हरनाथपुर, बक्सर (बिहार) भाषा : हिंदी विधाएँ : कविता, कहानी कविता संग्रह : कविता से लंबी उदासी, हम बचे रहेंगे कहानी संग्रह : अधूरे अंत की शुरुआत सम्मान: सूत्र सम्मान, ज्ञानपीठ नवलेखन पुरस्कार, युवा शिखर सम्मान, राजीव गांधी एक्सिलेंस अवार्ड

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अनहद कोलकाता साहित्य और कलाओं की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है। डिजिटल माध्यम में हिंदी में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ‘अनहद कोलकाता’ का प्रकाशन 2009 से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है। यह पत्रिका लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रगतिशील चेतना के प्रति प्रतिबद्ध है। यह पूर्णतः अव्यवसायिक है। इसे व्यक्तिगत संसाधनों से पिछले 12 वर्षों से लागातार प्रकाशित किया जा रहा है। अब तक इसके 500 से भी अधिक एकल अंक प्रकाशित हो चुके हैं।

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