समीक्षा-समीक्षा
लोक की जमीन से जुड़ी कविताएंतारिका सिंहशोध सहायिका, संस्कृत एवं प्राकृत भाषा विभाग,लखनऊ विश्वविद्यालयसंपर्कः09451216430 इधर की समकालीन कविता में कवियों का लोक से जुड़ाव और लोक से उनके रिश्ते में कमी आई...
लोक की जमीन से जुड़ी कविताएंतारिका सिंहशोध सहायिका, संस्कृत एवं प्राकृत भाषा विभाग,लखनऊ विश्वविद्यालयसंपर्कः09451216430 इधर की समकालीन कविता में कवियों का लोक से जुड़ाव और लोक से उनके रिश्ते में कमी आई...
उम्मीद की कविता -आर.सी. पांडेयहम बचे रहेंगे – विमलेश त्रिपाठी {कविता संग्रह}'नयी किताब',एफ-3/78-79, सेक्टर-16, रोहिणी, दिल्ली - 110089.दूरभाष ः 011-27891526इ-मेल ः nayeekitab@gmail.comISBN 978-81-908197-5-6'हम बचे रहेंगे’ युवा कवि विमलेश त्रिपाठी का पहला काव्य संग्रह है। उनकी कविता उदासी को तोड़ती हुइ...
संदीप प्रसाद की कविताएं अनहद पर हम पहले भी प्रस्तुत कर चुके हैं। संदीप इस बार अपनी कुछ ताजा-तरीन कविताओं के साथ हमारे बीच फिर से उपस्थित हैं। इन कविताओं में एक...
विमलेश की कविताएं समकालीन कविता में सार्थक हस्तक्षेप करती हैं – केदारनाथ सिंह विमलेश त्रिपाठी का काव्य संग्रह 'हम बचे रहेंगे' का लोकार्पणकोलकाता की महत्वपूर्ण संस्था सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन की ओर से 27...
प्रेमचंद गांधीभाई प्रेमचंद की यह कविता जितनी सहजता और साफगई से कई रहस्यों पर से पर्दा उठाती है, वह काबिले तारीफ है। दरअसल प्रेमचंद गांधी तमाम जोडतोड़ से अलग एक इमानदार और...
दिनेश त्रिपाठी 'शम्स' हिन्दी ग़ज़ल लेखन की दुनिया में एक जाना पहचाना नाम है। अनहद पर प्रस्तुत है इस बार दिनेश जी की चार ताजा ग़ज़लें। आपकी बेबाक प्रतिक्रिया का इंतजार रहेगा।(एक) आईने...
महेश पुनेठा हिन्दी कविता में सक्रिय एक महत्वपूर्ण नाम है। महेश जी की कविताएं जीवन संघर्षों से प्राप्त ऊर्जा को प्रतीकित करती हैं। उनकी कविताओं की सबसे बड़ी विशेषता उनकी सहजता है, एक...
संजय राय की कविताएं अनहद पर हम पहले भी पढ़ चुके हैं। संजय की कविताएं अपने कहन की अलहदापन के कारण आश्वस्त करती हैं। इस बार प्रस्तुत है उनकी कुछ ताजी कविताएं....संजय...
उसका नाम सरस्वती था । यह बात उसे भी ठीक से पता नहीं थी । वह अपना नाम सुरसतिया या सुरसती ही बताती । नालन्दा के आस पास की रहने वाली ।...
अनहद कोलकाता साहित्य और कलाओं की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है। डिजिटल माध्यम में हिंदी में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ‘अनहद कोलकाता’ का प्रकाशन 2009 से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है। यह पत्रिका लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रगतिशील चेतना के प्रति प्रतिबद्ध है। यह पूर्णतः अव्यवसायिक है। इसे व्यक्तिगत संसाधनों से पिछले 12 वर्षों से लागातार प्रकाशित किया जा रहा है। अब तक इसके 500 से भी अधिक एकल अंक प्रकाशित हो चुके हैं।
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