नया रास्ता खोजती कविताएं
– राहुल देव
एक कवि के रूप में हरे प्रकाश अपने इस संग्रह में बहुत प्रभावित करते हैं। उनके पिछले संग्रह से तुलना करने पर हम पाते हैं कि इस बीच समय के लम्बे अन्तराल ने कवि को विकसित करने का ही काम किया है। इस संग्रह में उनकी छोटी-बड़ी सभी कविताएं बेहद घनीभूत संवेदना के साथ, बड़े ठोस विचारों के साथ अपनी बात कहती हैं। इस कठिन समय में कवि को देश एक अंधे कुएं जैसा लगता है जिसकी जगत पर लोकतंत्र की घास उगी हुई है और जिसे कुछ गधे बड़े मजे से चर रहे हैं- ‘अब यह देश’ शीर्षक कविता। इस देश में नागरिकों की भी तमाम अघोषित श्रेणियां बना दी गई हैं। हर कोई अपनी सही पहचान पाने के लिए संघर्षरत है। ‘नागरिक’ शीर्षक कविता में वह कहता है- ‘कहने को मगर है उसका भी एक देश/ जहां कुछ भी नहीं है उसका’। संग्रह की ‘विमर्श’ शीर्षक कविता समाज के खाए-पिए-अघाए झूठे चेहरों को बेनकाब करती कविता है। कवि की पक्षधरता समाज के सबसे अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के साथ हमेशा बनी रही है। उन्होंने रिक्शेवाले, ठेले वाले, गरीब किसान, मजदूर, बेरोजगार युवा, कुपोषित बच्चे यानि लगभग समस्त आमजन के दुख-दर्द को उन्होंने अपने काव्य में पूरी सहानुभूति के साथ जगह दी है। ‘क्या आप बता सकते हैं’ शीर्षक कविता मैं वह पूछता है- ‘ये किससे करें ‘मन की बात’/ क्या आप बता सकते हैं…?’ इसी कविता की यह एक पंक्ति कि ‘भारत इस भाई का भी तो है’ पाठक के मन मस्तिष्क पर हांट करती है। हरेप्रकाश का कवि बगैर नारेबाजी के, बगैर किसी अतिरिक्त शोर-शराबे के समकालीन राजनीति के पेंच कसता है।
हरे प्रकाश उपाध्याय |
अपनी ‘गर्म हवाएं’ शीर्षक कविता की शुरुआत में कवि अपनी कविताओं के बारे में कहता है- ‘अब अपनी डायरी में/ जब भी लिखना चाहता हूं कविताएं/ कविता नहीं लिखी जाती/ बस आंसू गिरते हैं आंखों से’। तो वहीँ ‘नया रास्ता’ नामक छोटी सी कविता में कवि बड़ी उम्मीदों के साथ कह उठता है कि, ‘एक नई ताकत वाला आदमी बिल्कुल एक नया आदमी होता है/ एक नया आदमी एक नया रास्ता खोज लेता है।’ अपनी ‘कविता क्या है’ नामक कविता में कवि बताता है, ‘वह किसी के हाथों की सफाई है/ तो वह किसी के पांव की फटी हुई बिवाई है।’ कविदृष्टि की पहचान कराती ‘हाशिया’ शीर्षक कविता की निम्न पंक्तियां देखें- ‘पूरे पृष्ठ में कोरा/ अलग से दिखता है हाशिया/ मगर हाशिये को कोई नहीं देखता/ कोई नहीं पढ़ता हाशिये का मौन।’ संग्रह में ‘वर्तनी’, ‘अमित्रता’, ‘फेसबुक’, ‘रंग’, ‘आईना’, ‘माघ में गिरना’ और ‘चाहना’ जैसी कई उल्लेखनीय कविताएं हैं जिन पर काफी लंबी बात की जा सकती हैं।
इस संग्रह की कविताएं समकालीन कविता में मची भसड़ से एकदम अलग एकदम ताजा कविताएं हैं जोकि पाठक के अंतर्मन को झकझोरने में समर्थ साबित होती हैं। बहुत सरल-सहज भाषा में कवि मानो अपने लोगों से संवाद करता है। इन कविताओं में कोई उलझाव नहीं है। इनका सशक्त कहन ही उसकी ताकत है। समकालीन कविता में भाव और विचारों का इतना बेहतरीन संयोजन कम ही देखने को मिलता है। निश्चित ही इस प्रक्रिया में कवि आपके सुख-दुख का साझी बनता है। अपने इस संग्रह में कवि ने पूरी प्रतिबद्धता के साथ जन-गण-मन की काव्यभिव्यक्ति की है। इस संग्रह की कविताओं को पढ़ने के बाद वास्तव में यह लगता है मानो हम किसी भयानक दुःस्वप्नसे गुजरे हों, मौजूदा दौर उससे ज्यादा अलग नहीं है। इसे पढ़कर हम क्या हैं, क्या हो गए हैं और क्या होना बाकी रह गया है जैसे प्रश्नों पर विचार करने पर विवश हो जाते हैं। एक सार्थक और सच्ची कविता यही काम करती हैं। यह संग्रह हिंदी युवा कविता की एक उपलब्ध की तरह से है जिसे पढ़ा और सराहा जाना चाहिए।
नया रास्ता/ कविता संग्रह/ हरे प्रकाश उपाध्याय/ रश्मि प्रकाशन, लखनऊ/ 2021/ पृष्ठ 101/ मूल्य 200/-
राहुल देव |
हस्ताक्षर: Bimlesh/Anhad