बहुत दिनों से कथा के लिए एक कहानी भेजने का अपना वादा बार-बार याद करता रहा। कोई कहानी पूरी हुई ही नहीं, भेजता कैसे। बहरहाल एक एसएमएस के जरिए मैंने भाई संतोष के मोबाईल पर एक श्रद्धांजली संदेश भेज दिया।
मार्कण्डेय अकेले ऐसे कथाकार थे, जिनकी कथा में आजादी के बाद का गाँव अपने पूरे यथार्थ के साथ प्रकट हुआ है। आज जब कि गाँव गाँव की तरह नहीं रह गए हैं, ऐसे समय में मार्कण्डेय का जाना नि:शब्द कर गया है हमें।
मेरी ढाका डायरी – मधु कांकरिया
मेरी ढाका डायरी – मधु कांकरिया ( एक दिलचस्प अंश ) मधु कांकरिया वरिष्ठ कथाकार मधु कांकरिया की 'मेरी ढाका डायरी' एक प्रबुद्ध व्यक्ति की आँख...