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Home विविध

लौट आना चाहता हूँ…..

by Anhadkolkata
June 25, 2022
in विविध, विविध
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दोस्तों की शिकायतें बाजिब हैं, लेकिन क्या करूं कि कोई एक कहानी पूरी हो जाय। आपको जानकर शायद ही विश्वास हो कि मेरे पास १५ अधूरी कहानियाँ हैं, जो रोज रात को मुझसे हिसाब मांगती हैं, क्या यही कारण नहीं है कि मेरा रक्त चाप अनियमित हो गया है। उस दिन कुणाल फोन पर थे। सवाल वही कि क्या कर रहा हूँ। जवाब वही कि यार कई कहानियाँ हैं, पूरी नहीं कर पा रहा। और उनकी शिकायत कि आपने खुद को बर्बाद किया है।
कभी-कभी सोचता हूँ कि संकल्प के साथ एक दिन बैठूंगा और सबकी सुनूंगा, सारी कहानियों की शिकायतें और इस तरह निशांत, रधुराई, रविन्द्र, नीलकमल और कुणाल की शिकायतें भी। और एक के बाद एक सारी कहानियों को पूरा कर लूंगा। सचमुच एक बार फिर से नादानियों के उस समय में लौट आना चाहता हूँ ॥ वहीं जहां मेरी मुक्ति के गीत दफन हैं किसी भी भटकाव का एक किनारा यदि कहीं हैं, कोई है, तो यही है।…..शुरू यहीं…तो खत्म भी यहीं….उसके बाद का पता नहीं….
…

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Comments 2

  1. रविन्द्र आरोही says:
    15 years ago

    बिमलेश जी,
    लौट आना चाहता हूँ …. पढा़ और यह लगा कि वाकई जिन्दगी की भागदौड़ में इनसान इतना घिर जाता है कि उसकी रचनात्मकता खतरे में पड़ जाती है। लेकिन हमें आपसे उम्मीद है…

    सौमित्र आनंद
    हावड़ा

    Reply
  2. Kunal Singh says:
    15 years ago

    विमलेश भाई, आपका रुमानी सा यह पोस्ट देखा. यार आप कहते हैं कि आप नादानियो के उस समय में लौट जाना चाहते हैं. जरा गौर किजीये तो आप उन तथाकथित 'नादानियो' से कही दूर नही गये. इस पोस्ट के हर लफ्ज में वे नादान रुमानीयत भरी हैं. पिछले कई सालो से अधूरी कहानियो के 'हिसाब मांगने' का रोना रोना, और इस तरह न लिखने का खुबसूरत बहाना गढना यार छायावाद के टाईम की बात हुई. आज के समय में कौन हैं जो व्यस्त नही हैं? किसने कहा आपसे कि लिखना फुरसत का काम हैं? आप नही लिखते तो इसमे सिर्फ और सिर्फ आपका कसूर हैं, व्यस्तताओ का बहाना मुर्दाबाद.
    kunal singh, bhashasetu.blogspot.com

    Reply

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