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अर्थ-विस्तार

जब हम प्यार कर रहे होते हैंतो ऐसा नहीं कि दुनिया बदल जाती हैबस यहीकि हमें जन्म देने वाली मां केचेहरे की हंसी बदल जाती हैहमारे जन्म से ही पिता के मन...

कविता

जैसे एक लाल-पीलीतितलीबैठ गई होकोरे कागज पर नीर्भिकयाद दिला गई होबचपन के दिन....

वैसे ही आऊँगा

मंदिर की घंटियों की आवाज के साथरात के चौथे पहरजैसे पंछियों की नींद को चेतना आती हैकिसी समय के बवडर मेंखो गएकिसी बिसरे साथी केजैसे दो अदृश्य हाथउठ आते हैं हार गए...

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