प्रज्ञा पाण्डेय की कहानी – चिरई क जियरा उदास
प्रज्ञा पाण्डेय प्रज्ञा पाण्डेय की कहानियाँ समय-समय पर हम पत्र पत्रिकाओं में पढ़ते आए हैं एवं उन्हें सराहते भी आए हैं - उनकी कहानियों में आपको लोक की गंध तो मिलती है...
प्रज्ञा पाण्डेय प्रज्ञा पाण्डेय की कहानियाँ समय-समय पर हम पत्र पत्रिकाओं में पढ़ते आए हैं एवं उन्हें सराहते भी आए हैं - उनकी कहानियों में आपको लोक की गंध तो मिलती है...
अनामिका प्रिया अनामिका प्रिया की कई कहानियाँ राष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। उनकी कहानियों में संवेदना के साथ कहन की सरलता और सघनता भी है। अनहद कोलकाता उनको...
ज्योति रीता ज्योति रीता की कविताओं में एक ऐसी ताजगी है जो न केवल आकर्षित करती है बल्कि हमें उकसाती भी है। इनकी कविताएँ पढ़कर लगता है कि अपने जीवन और अपने...
रीता दास राम रीता दास राम की उपलब्धियाँ बहुत हैं जिनमें एक यह है कि वे कविता में सहज और सरल रूप से अपनी बात कहती हैं और समय के दंश को...
शिप्रा मिश्रा नदी अपना मार्ग स्वयं बनाती है कोई नहीं पुचकारता उछालता उसे कोई उसकी ठेस पर मरहम नहीं लगाता नदी यदि स्त्री है तो उसे स्वयं मार्ग बनाना होता है और...
शालिनी सिंह ''जीवन देवताओं के साथ बीत रहा है निश्चिंत भेद करना कठिन है कि जीवन में देवता बचे हैं या देवताओं के बीच जीवन बचा है'' यह एक स्त्री का दुख...
गरिमा सिंह "शरीर में श्वेत रक्त कणिकाओं का घटना या बढ़ जाना नही बता सकता है सपनों के मरने की दर और उसे जिन्दा रखने की आदमी की जद्दोजहद को कोशिकाओं के...
दिव्या श्री दिव्या श्री हिन्दी की युवतर कवि हैं और पिछले सालों में अपनी संवेदनात्मक एवं प्रेम विषयक कविताओं से हिन्दी जगत का ध्यान अपनी ओर खींचा है। इनकी कविताएँ बहुत पहले...
गुंजन उपाध्याय पाठक 'मूर्खों की शौर्य गाथा में कभी ईश्वर इतना मजबूर नहीं था' इन पंक्तियों को लिखने वाली कवि गुंजन उपाध्याय पाठक के सरोकार गहन रूप से समय के सरोकार से...
अनहद कोलकाता साहित्य और कलाओं की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है। डिजिटल माध्यम में हिंदी में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ‘अनहद कोलकाता’ का प्रकाशन 2009 से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है। यह पत्रिका लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रगतिशील चेतना के प्रति प्रतिबद्ध है। यह पूर्णतः अव्यवसायिक है। इसे व्यक्तिगत संसाधनों से पिछले 12 वर्षों से लागातार प्रकाशित किया जा रहा है। अब तक इसके 500 से भी अधिक एकल अंक प्रकाशित हो चुके हैं।
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