लवली गोस्वामी की कविताएँ
Normal 0 false false false EN-US X-NONE HI लवली गोस्वामीलवली गोस्वामी की कविताएँ ही उनका परिचय हैं – कभी उनका इतर परिचय जानने का अवसर न मिला। फेसबुक पर सक्रिय कम महिलाएँ...
Normal 0 false false false EN-US X-NONE HI लवली गोस्वामीलवली गोस्वामी की कविताएँ ही उनका परिचय हैं – कभी उनका इतर परिचय जानने का अवसर न मिला। फेसबुक पर सक्रिय कम महिलाएँ...
देशप्रेम किसे कहते हैंशंभुनाथशंभुनाथअतीत से आलोचनात्मक संबंध तोड़ना और उससे संकीर्ण राजनैतिक संबंध स्थापित करना अंध-राष्ट्रवाद का लक्ष्य होता है। संस्कृति के सुवासित धार्मिक वस्त्रों के भीतर बर्बरता छिपी होती है। दरअसल,...
Normal 0 false false false EN-US X-NONE HI नीलोत्पल रमेश Normal 0 false false false EN-US X-NONE HI MicrosoftInternetExplorer4 नीलोत्पल रमेशकी कविताएँ सहज तो हैं ही उनके अंदर अख्यानता के भी दर्शन...
Normal 0 false false false EN-US X-NONE HI भोजपुरी का दुखमृत्युंजय पाण्डेयमृत्युंजय पाण्डेय युवा आलोचक और प्राध्यापक हैं। हिन्दी की बोली भोजपुरी को भाषा की मान्यता मिलनी चाहिए या नहीं इसको लेकर...
Normal 0 false false false EN-US X-NONE HI MicrosoftInternetExplorer4 विमलेश शर्माविमलेश शर्माकी कविताएँ पढ़ते हुए आप एक सहज प्रवाह का अनुभव करेंगे जहाँ बीच-बीच में संवेदना के द्वीप आपकी राह तकते खड़े...
Normal 0 false false false EN-US X-NONE HI MicrosoftInternetExplorer4 बाकलम खुद कुमारिल, खुद प्रभाकर : हिंदी के नामवरप्रफुल्ल कोलख्यान ‘समाज का संगठन आदिकाल से आर्थिक भीत्ति पर होता आ रहा है। जब...
Normal 0 false false false EN-US X-NONE HI MicrosoftInternetExplorer4 Normal 0 false false false EN-US X-NONE HI MicrosoftInternetExplorer4 जेएनयू को बचाने की ज़रूरत हैडॉ. ऋषि भूषण चौबेडॉ. ऋषि भूषण चौबेपिछले साल देश...
भरत प्रसादभरत प्रसाद ने कविता, कथा और आलोचना तीनों ही विधाओं में लागातार श्रेष्ठ लेखन किया है। किसी भी रचनाकार की लागातार सक्रियता मुझे बेहद आकर्षित करती रही है। भरत जी न...
कोलकाता में अभी मनुष्य बसते हैंशंभुनाथ शंभुनाथमैंने 1970 के दशक में कोलकाता के लेखकों का प्रचंड व्यवस्था-विरोध देखा है, जो अब एक मरती हुई भावना है। हिंदी और बांग्ला लेखकों के बीच...
अनहद कोलकाता साहित्य और कलाओं की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है। डिजिटल माध्यम में हिंदी में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ‘अनहद कोलकाता’ का प्रकाशन 2009 से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है। यह पत्रिका लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रगतिशील चेतना के प्रति प्रतिबद्ध है। यह पूर्णतः अव्यवसायिक है। इसे व्यक्तिगत संसाधनों से पिछले 12 वर्षों से लागातार प्रकाशित किया जा रहा है। अब तक इसके 500 से भी अधिक एकल अंक प्रकाशित हो चुके हैं।
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