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विनीता परमार की कविताएँ

विनीता परमार विनीता परमार की कविताओं पर पहली बार नजर फेसबुक पर ही गई। खास बात यह लगी कि इन कविताओं में प्रकृति और पर्यावरण की गहरी चिन्ता है।  इस कवि की...

विक्रम-बेताल की नई कहानियाँ – विमलेन्दु

Normal 0 false false false EN-US X-NONE HI विमलेन्दुविमलेन्दु को मैं बहुत अच्छे कवि के रूप में जानता हूँ लेकिन इस बीच उन्होंने उम्दा गद्य भी लिखा है। यहाँ प्रस्तुत कहानियाँ अपने...

भूमि अधिग्रहण का ‘पुरस्कार’ – मृत्युंजय पाण्डेय

भूमि अधिग्रहण का ‘पुरस्कार’मृत्युंजय पाण्डेयमृत्युंजय पाण्डेय युवा आलोचक और प्राध्यापक हैं।‘पुरस्कार’कहानी की शुरुआत ‘भूमि अधिग्रहण’के उत्सव और पुरस्कार वितरण समारोह  से होती है । कोशल के राष्ट्रीय नियम के नाम पर कृषक...

बिहार, बिहारी और बिहारी संस्कृति – डॉ. ऋषि भूषण चौबे

बिहार, बिहारी और बिहारी संस्कृतिडॉ. ऋषि भूषण चौबेडॉ. ऋषि भूषण चौबे'एक बिहारी सौ पर भारी'  अक्सर हंसी -मजाक के क्षणों में, यह जुमला देश के कई इलाकों में खूब चलता है। इसीतरह...

राष्ट्रवाद की लूट है… – अजय तिवारी

                           राष्ट्रवाद की लूट है...                         अजय तिवारी       अजय तिवारीराष्ट्र की सत्ता प्राचीन है, राष्ट्रवाद की अवधारणा आधुनिक. राष्ट्र का अस्तित्व भूभाग-आबादी-भाषा-संस्कृति-इतिहास की साझेदारी पर निर्भर है, राष्ट्रवाद का इस विश्वास...

आजादी के बाद हिन्दी को लेकर हुए मजाक पर बनी उम्दा फिल्म – ‘हिन्दी मिडियम’ – शिवानी गुप्ता

Normal 0 false false false EN-US X-NONE HI MicrosoftInternetExplorer4 शिवानी गुप्ताशिवानी गुप्ता युवा प्राध्यापक और आलोचक हैं, समकालीन महिला उपन्यासकारों पर बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से शोध किया है और समकालीन मुद्दों के...

पहली कहानी – विजय शर्मा ‘अर्श’

 विजय शर्मा ‘अर्श’कहानियों में विषय और शिल्प को लेकर लागातार प्रयोग होते रहे हैं –  हिन्दी कहानी ने इस मायने में एक लंबी यात्रा की है। कहानी का इतिहास बताता है कि...

कस्बाई औरतों के किस्से – शेखर मल्लिक

शेखर मल्लिक     युवा कथाकार एवं प्रलेसं से जुडाव    हंस, प्रगतिशील वसुधा, अन्यथा, परिकथा, कथादेश, पाखी, जनपथ, शुक्रवार, दूसरी परम्परा, लमही,संवेद, रचना समय आदि में कहानियाँ. एक कहानी संग्रह (अस्वीकार और अन्य कहानियाँ)...

निडरता की ओर छोटी-सी यात्रा : आरती

आरतीआरती को सबसे अधिक मैं एक कुशल सम्पादक के रूप में जानता हूँ – उनसे जब कोई संपर्क नहीं था तब भी उनके द्वारा संपादित त्रैमासिक पत्रिका समय के साखी मेरे पास...

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