आबल-ताबल – ललन चतुर्वेदी परसाई जी की बात चलती है तो व्यंग्य विधा की बहुत याद आती है। वे...
परसाई जी की बात चलती है तो व्यंग्य विधा की बहुत याद आती है। वे व्यंग्य के शिखर हैं। उन्होंने...
जिहाद प्रेमचंद बहुत पुरानी बात है। हिंदुओं का एक काफिला अपने धर्म की रक्षा के लिए पश्चिमोत्तर के पर्वत-प्रदेश से...
शहंशाह आलम महत्वपूर्ण कवि एवं समीक्षक हैं। इधर उन्होंने कहानियाँ लिखनी शुरू की हैं। प्रस्तुत है उनकी यह कहानी। आदमी...
बेचूलाल का भूत उर्फ बेलाकाभू पंकज मित्र पंकज मित्र जब से ‘क़यामत से क़यामत तक’ को ‘क्यू एस क्यू...
Normal 0 false false false EN-US X-NONE HI कंथा श्याम बिहारी श्यामल सुपरिचित कथाकार श्याम बिहारी श्यामल ने अपनी...
उपन्यास अंश लाल क्षितिज का पक्षी भरत प्रसाद जे0एन0यू0 अर्थात् ‘जानते नहीं तुम’ या ‘जीवन को न करो उदास’।...
जयश्री रॉयजयश्री रॉय की कहानियाँ हम अनहद कोलकाता पर पहले भी पढ़ चुके हैं। जयश्री रॉय हिन्दी की चर्चित कथाकार...
Normal 0 false false false false EN-US X-NONE HI विमलेन्दु के गल्पमैं सोशल मीडिया पर, प्रिन्ट मीडिया का कवि हूँ...
Normal 0 false false false EN-US X-NONE HI MicrosoftInternetExplorer4 प्रो. सोमा बंद्योपाध्यायप्रो. सोमा बंद्योपाध्याय ने हाल के दिनों में अपनी...
अनहद कोलकाता साहित्य और कलाओं की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है। डिजिटल माध्यम में हिंदी में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ‘अनहद कोलकाता’ का प्रकाशन 2009 से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है। यह पत्रिका लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रगतिशील चेतना के प्रति प्रतिबद्ध है। यह पूर्णतः अव्यवसायिक है। इसे व्यक्तिगत संसाधनों से पिछले 12 वर्षों से लागातार प्रकाशित किया जा रहा है। अब तक इसके 500 से भी अधिक एकल अंक प्रकाशित हो चुके हैं।
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2009-2022 अनहद कोलकाता by मेराज.