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Home विविध

उसे सुनो कभी अपने एकांत में….

by Anhadkolkata
June 25, 2022
in विविध, विविध
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रविन्द्र, सच सिर्फ वही नहीं होता जो दिखता है, उसके आगे भी सच के कई छोर होते हैं। मुझे इस बात का कोई मलाल नहीं कि तुम उन छोरों तक पहुँचने की कोशिश नहीं करते कभी —कम से कम मेरे मामले में तो कभी भी नहीं। लेकिन यदि लंबे समय तक अगर तुम सचमुच लिखना चाहते हो तो सच के उन अंधेरे गह्वरों में तुम्हे जाना ही होगा। मेरे लिए नहीं रविन्द्र अपनी रचना की बेचैनी के लिए। और तुम वहाँ जाकर ही खुद को बचा भी पाओगे।

यह सही है कि अपने कुछ न लिख पाने का कोई सही कारण तुम्हे नहीं बता पाता। लेकिन जरा सोचो, क्या भाषा के पास उतनी ताकत है कि न कह सकने को भी अपनी छाती पर धारण कर सके? उतनी ही शिद्दत के साथ?

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मेरा न कहा हुआ मेरे कहे हुए से ज्यादा महत्वपूर्ण है मेरे भाई……उसे सुनो कभी अपने एकांत में । जिस दिन सुन लोगे, उस दिन मेरे सामने यह प्रश्न कभी नहीं रखोगे, कि मेरे इस निष्क्रिय उदासी के छोर किन घाटियों के किन अतल गह्वरों में सांस की आस में तड़प रहे हैं…

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अनहद कोलकाता में प्रकाशित रचनाओं में प्रस्तुत विचारों से संपादक की सहमति आवश्यक नहीं है. किसी लेख या तस्वीर से आपत्ति हो तो कृपया सूचित करें। प्रूफ़ आदि में त्रुटियाँ संभव हैं। अगर आप मेल से सूचित करते हैं तो हम आपके आभारी रहेंगे।

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Comments 1

  1. रविन्द्र आरोही says:
    15 years ago

    भाई!हम सवल नहीं करते-आपसे प्रेम करते हैं.

    रविन्द्र

    Reply

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अनहद कोलकाता साहित्य और कलाओं की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है। डिजिटल माध्यम में हिंदी में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ‘अनहद कोलकाता’ का प्रकाशन 2009 से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है। यह पत्रिका लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रगतिशील चेतना के प्रति प्रतिबद्ध है। यह पूर्णतः अव्यवसायिक है। इसे व्यक्तिगत संसाधनों से पिछले 12 वर्षों से लागातार प्रकाशित किया जा रहा है। अब तक इसके 500 से भी अधिक एकल अंक प्रकाशित हो चुके हैं।

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