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Home कविता

संतोष अलेक्स की कविताएं

by Anhadkolkata
June 25, 2022
in कविता, साहित्य
A A
13
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संतोष अलेक्स

संतोष अलेक्‍स की हिंदी कविताएं यत्र-तत्र पत्रिकाओं में छपती रहती हैं। उनका कविताओं के क्षेत्र में किया गया अनुवाद का काम उल्लेखनीय है। यहां प्रस्तुत कविताएं अपने तरह की बिल्कुल अलग कविताएं हैं। नाश्ता पर ये कविताएं संभवतः हिन्दी साहित्य में अपनी तरह की अकेली कविताएं हैं। अनहद पर प्रस्तुत है इस बार संतोष अलेक्स की कविताएं। आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतजार रहेगा।


नाश्‍ता –  कुछ  कविताएं
1.     अखबार
यह भोर को
नींद से न उठे शहर के उपर
चादर सा आ गिरता है
नसों को कसती खबरें
करती है परेशान
खो जाती है उर्जा सारी
मोडकर रख देता हूँ तो
मंदिर के तालाब में
सपनों को चुंबन कर लेटी
पड़ोस की लड़की की आंखें
घूरती है मुझे
मैं चुप रहता हूँ
यह मौनयात्रा है
सड़े हुए कल की
2.  स्‍नान
शावर के नीचे खडे होकर
स्‍नान करने पर
रात का पसीना , मैल बू
साफ हो जाता है
माथे पर पानी गिरते ही
उड जाती है चिडिया थकावट की
हल्‍का हो जाता है मन
स्‍वच्‍छ हो जाता है तन
स्‍नान माने
एक देह को त्‍याग कर
दूसरे को प्राप्‍त करना है
3.  नाश्‍ता
सुना कि नाश्‍ते में
राजाओं सा खाना चाहिए
दोपहर को मंत्री सा
रात को भिखारी सा
हमारे चौकीदार का नाश्‍ता
रात का चावल और अचार
से बनता है
सामने के फ्लैट के
थामस अंकल की मेज पर
टोस्‍ट ,अंडा और दूध होता है
नाश्‍ते में
बगल के फ्लैट की शोभा आंटी
हफ्ते में तीन बार उपवास रखती हैं
वह नाश्‍ते के वक्‍त लौटती हैं
पूजा पाठ कर
आटो की आवाज सुन
चटनी में डुबोए आधी इडली को
मुंह में रखती हुई
पत्‍नी निकल जाती है
बच्‍चों के संग
डाईनिंग टेबुल पर सब कुछ है
कमी है तो परिवार के सदस्‍यों की
पूरा होता है नाश्‍ता जिनसे
संतोष अलेक्स
जन्मः 1971 को केरल के तिरूवल्ला में । ‘केंदारनाथ सिंह एवं के सच्चिदानंदन की कविताओं में मानववाद – एक तुलनात्मक अध्ययन’ विषय पर वी आई टी यूनिवर्सिटी से पी एच डी ।
मलयालम और हिंदी में कविता लिखते हैं एवं तीन भाषाओं में परस्पर अनुवाद करते हैं । मलयालम में दूरम (2008) नामक काव्य संग्रह प्रकाशित। इनकी कविताओं का अंग्रेजी हिंदी तेलुगू एवं उडिया भाषाओं में अनुवाद प्रकाशित हुए हैं। हडसन व्यू एवं सनराईस फ्राम द ब्लू थंडर – अंर्तराष्ट्रीय अंग्रेजी काव्य संकलनों में कविताएं प्रकाशित। 18 सालों से मलयालम, हिंदी एवं अंग्रेजी में साहित्य का परस्पर अनुवाद कर भारतीय भाषाओं एवं संस्कृतियों के बीच सेतू का काम कर रहें हैं। अनुवाद की 10 किताबें प्रकाशित हैं जिसमें सच्चिदानंदन की कविता -शुरूआतें,  पुनत्तिल कुंजअब्दुल्ला का उपन्यास –अलीगढ का कैदी,   ए. अयप्पन की कविता – खामोश मुहूर्त में,  जयंत महापात्र की कविता – कविता के पक्ष में नहीं का हिंदी अनुवाद एवं एकांत श्रीवास्तव की का अंग्रेजी अनुवाद महत्वपूर्ण हैं।
     
देश की चर्चित अंग्रेजी हिंदी एवं मलयालम पत्र पत्रिकओं में इनके अनुवाद एवं कविताएं प्रकाशित हैं । 2009 में भारतीय अनुवाद परिषद का द्विवागीश पुरस्कार (राष्ट्रीय अनुवाद पुरस्कार) से सम्मानित।
     
संप्रतिः विशाखपटणम में मात्स्यिकी विभाग में हिंदी अधिकारी के रूप में कार्यरत हैं
ई-मेल drsantoshalex@gmail.com

Dr Santosh Alex
Technical Officer ( Hindi )
CIFT
Pandurangapuram
Andhra University P.O.
Visakhapatnam -530003

हस्ताक्षर: Bimlesh/Anhad

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Comments 13

  1. Anonymous says:
    10 years ago

    अच्छा कविताएं, संतोष जी को बहुत-बहुत बधाई…..

    Reply
  2. Nityanand Gayen says:
    10 years ago

    एकदम नई तरह की कवितायेँ ..बधाई

    Reply
  3. Anonymous says:
    10 years ago

    very nice

    Reply
  4. Kalpna Rajput says:
    10 years ago

    Excellent…

    Reply
  5. Anuvad says:
    10 years ago

    Dhanvyavaad.

    Reply
  6. Anuvad says:
    10 years ago

    dhanyavaad nityanand

    Reply
  7. Anuvad says:
    10 years ago

    Thank u kalpana ji

    Reply
  8. Unknown says:
    10 years ago

    इस सुबह-मचे में नींद को खोलने के लिए 'अखबार' सबसे पहले आ गिरता है ..सुचनाएं है .लेकिन इतनी बेदर्द कि रात में नींद से जो ऊर्जा मिली थी सब स्वाह। बाकी बचा है सड़ा हुआ कुछ। कवि अपने चेतस रूप को 'स्नान ' में व्यवस्थित करने की कोशिश करता है। और 'नाश्ता' में बोध एकदम गहराकर आता है , मानवीय संसार की विसंगतियां आपस में उलछी हैं …जिनके बीच फंसा है कवि मन- खेद भरा है वहां….
    सुबह में ऐसे सांसारिक क्रिया व कवि की भाव क्रिया का सुंदर प्रस्तुतीकरण दुर्लभ है …..

    Reply
  9. Anuvad says:
    10 years ago

    Dhanyavaad Yadav ji

    Reply
  10. Mahesh Chandra Punetha says:
    10 years ago

    अच्छी कवितायेँ

    Reply
  11. Anuvad says:
    10 years ago

    Aabhar mahesh ji

    Reply
  12. Rinzu says:
    10 years ago

    Roz marra ke jivan ko darshai hai apki kavitayein! Inhe padh ke mujhe bhi kafi prerna mili! Kuch aisa hi angrezi mein likhne ki!

    Rinzu

    Reply
  13. Kavita Vachaknavee says:
    10 years ago

    24 सितंबर को ही इन कविताओं पर पर टिप्पणी की थी, जो आज तक नहीं दिखाई दे रही। कभी कभी `ब्लॉगर' में जाकर 'कमेंट्स' का `spam' फोल्डर भी देख लेना चाहिए, बहुत-सी बिना स्पैम टिप्पणियाँ भी वहाँ चली जाती हैं उन्हें 'सलेक्ट' कर के 'नॉट स्पैम' करना होता है। तभी वे संबन्धित प्रविष्टि पर दिखाई देती हैं।

    Reply

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अनहद कोलकाता साहित्य और कलाओं की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है। डिजिटल माध्यम में हिंदी में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ‘अनहद कोलकाता’ का प्रकाशन 2009 से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है। यह पत्रिका लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रगतिशील चेतना के प्रति प्रतिबद्ध है। यह पूर्णतः अव्यवसायिक है। इसे व्यक्तिगत संसाधनों से पिछले 12 वर्षों से लागातार प्रकाशित किया जा रहा है। अब तक इसके 500 से भी अधिक एकल अंक प्रकाशित हो चुके हैं।

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