• मुखपृष्ठ
  • अनहद के बारे में
  • रचनाएँ आमंत्रित हैं
  • वैधानिक नियम
  • संपर्क और सहयोग
No Result
View All Result
अनहद
  • साहित्य
    • कविता
    • कथा
    • अनुवाद
    • आलोचना
    • समीक्षा
    • संस्मरण
    • विविध
  • कला
    • सिनेमा
    • पेंटिंग
    • नाटक
    • नृत्य और संगीत
  • लेखक
  • गतिविधियाँ
  • विविध
  • साहित्य
    • कविता
    • कथा
    • अनुवाद
    • आलोचना
    • समीक्षा
    • संस्मरण
    • विविध
  • कला
    • सिनेमा
    • पेंटिंग
    • नाटक
    • नृत्य और संगीत
  • लेखक
  • गतिविधियाँ
  • विविध
No Result
View All Result
अनहद
No Result
View All Result
Home कविता

मां : कुछ कविताएं

by Anhadkolkata
June 25, 2022
in कविता, साहित्य
A A

Related articles

अर्चना लार्क की सात कविताएँ

नेहा नरूका की पाँच कविताएँ

 मां

एक

मां के सपने घेंघियाते रहे
जांत की तरह
पिसते रहे अन्न
बनती रही मक्के की गोल-गोल रोटियां
और मां सदियों
एक भयानक गोलाई में
चुपचाप रेंगती रही…

दो

इस रोज बनती हुई दुनिया में
एक सुबह
मां के चेहरे की झूर्रियों से
ममता जैसा एक शब्द गुम गया
और मां
मुझे पहली बार
एक औरत की तरह लगी….

आजकल मां                  

आजकल मां के
चेहरे से
एक सूखती हुई नदी की
भाप छुटती है

ताप बढ़ रहा है
धीरे-धीरे

बस
वर्फानी चोटियां
पिघलती नहीं….

मां 

तुमने ही जना
प्यार और नफरत की चाबियां तुम्हारे कमर में ही लटकी हैं कहीं
एक साथ ही
आंसू और खुशियों की सीढियां
तय की तुम्हारे साथ ही

तुमने ही जना
और तुम्हारे भीतर ही ढूंढता मैं जवाब
उन प्रश्नों के
जिसे हजारों वर्ष की सभ्यता ने
लाद दिया है मेरी पीठ पर

हस्ताक्षर: Bimlesh/Anhad

Anhadkolkata

Anhadkolkata

जन्म : 7 अप्रैल 1979, हरनाथपुर, बक्सर (बिहार) भाषा : हिंदी विधाएँ : कविता, कहानी कविता संग्रह : कविता से लंबी उदासी, हम बचे रहेंगे कहानी संग्रह : अधूरे अंत की शुरुआत सम्मान: सूत्र सम्मान, ज्ञानपीठ नवलेखन पुरस्कार, युवा शिखर सम्मान, राजीव गांधी एक्सिलेंस अवार्ड

Related Posts

अर्चना लार्क की सात कविताएँ

अर्चना लार्क की सात कविताएँ

by Anhadkolkata
June 24, 2022
3

अर्चना लार्क की कविताएँ यत्र-तत्र देखता आया हूँ और उनके अंदर कवित्व की संभावनाओं को भी महसूस किया है लेकिन इधर की उनकी कुछ कविताओं को पढ़कर लगा...

नेहा नरूका की पाँच कविताएँ

नेहा नरूका की पाँच कविताएँ

by Anhadkolkata
June 24, 2022
3

नेहा नरूका समकालीन हिन्दी कविता को लेकर मेरे मन में कभी निराशा का भाव नहीं आय़ा। यह इसलिए है कि तमाम जुमलेबाज और पहेलीबाज कविताओं के...

चर्चित कवि, आलोचक और कथाकार भरत प्रसाद का एक रोचक और महत्त संस्मरण

चर्चित कवि, आलोचक और कथाकार भरत प्रसाद का एक रोचक और महत्त संस्मरण

by Anhadkolkata
June 24, 2022
4

                           आधा डूबा आधा उठा हुआ विश्वविद्यालय                                                                                भरत प्रसाद ‘चुनाव’ शब्द तानाशाही और अन्याय की दुर्गंध देता है। जबकि मजा यह कि...

उदय प्रकाश की कथा सृष्टि  पर विनय कुमार मिश्र का आलेख

उदय प्रकाश की कथा सृष्टि पर विनय कुमार मिश्र का आलेख

by Anhadkolkata
June 25, 2022
0

सत्ता के बहुभुज का आख्यान ( उदय प्रकाश की कथा सृष्टि से गुजरते हुए ) विनय कुमार मिश्र   उदय प्रकाश ‘जिनके मुख देखत दुख उपजत’...

प्रख्यात बांग्ला कवि सुबोध सरकार की कविताएँ

प्रख्यात बांग्ला कवि सुबोध सरकार की कविताएँ

by Anhadkolkata
June 24, 2022
1

सुबोध सरकार सुबोध सरकार बांग्ला भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित कविता-संग्रह द्वैपायन ह्रदेर धारे के लिये उन्हें सन् 2013 में साहित्य अकादमी पुरस्कार...

Next Post

राहुल सिंह की पहिलौंठी कविताएं

विपिन चौधरी की तीन कविताएं

नील कमल की एक कविता श्रृंखला

Comments 11

  1. राजेश चड्ढ़ा says:
    11 years ago

    प्यार और नफरत की चाबियां तुम्हारे कमर में ही लटकी हैं कहीं…….
    अध्भुत विमलेश जी…मां होना जैसे… गहरा स्वभाव है..

    Reply
  2. shanti bhushan says:
    11 years ago

    मां के चेहरे की झूर्रियों से
    ममता जैसा एक शब्द गुम गया
    और मां
    मुझे पहली बार
    एक औरत की तरह लगी….(kya kathy hai… behtrin)

    BAHUT ACHCHHI KAVITAYEN…

    SHESHNATH…

    Reply
  3. rajani kant says:
    11 years ago

    मन छू लेनेवाली कविताएं . पहली कविता की अन्तिम पंक्ति शायद ’चुपचाप रेंगती रही’ होगी.

    Reply
  4. Neel Kamal says:
    11 years ago

    maa ek rahasya bhi hai aur ek avishkar bhi. is vishay par kavita likhana bahut badi chunauti hai.apko badhai.

    Reply
  5. Anonymous says:
    11 years ago

    khub bhalo laglo, aro likhun

    Reply
  6. गीता पंडित says:
    11 years ago

    मां के सपने घेंघियाते रहे
    जांत की तरह
    पिसते रहे अन्न
    बनती रही मक्के की गोल-गोल रोटियां
    और मां सदियों
    एक भयानक गोलाई में
    चुपचाप रेंगती रही..

    man ko kachotne vaala ek saty ….. sundar ahasaas…..badhai aapko……

    Reply
  7. वंदना शुक्ला says:
    11 years ago

    बिमलेश जी ,आपकी कवितायेँ आकाश में उड़ने कि जगह ,धरती पर चहलकदमी करती हैं,माँ के चेहरे कि सूखती हुई नदी कि महसूसियत से गांव से महानगर तक आने कि व्यथा-कथाओं तक,सरल विषयवस्तु कि सहज अभिव्यक्ति !इन शुभकामनाओं के साथ कि आपने जो ज़मीन तय कि है ,उस पर खड़े रहें ताकि जिंदगी के चेहरे करीब से देख सकें!
    वंदना

    Reply
  8. Vimlesh Tripathi says:
    11 years ago

    आप सभी का अभार….शुक्रिया…

    Reply
  9. Pooja Anil says:
    11 years ago

    मां सदियों
    एक भयानक गोलाई में
    चुपचाप रेंगती रही…

    बहुत संवेदनशील कवितायें. गहरे विश्लेषण से उपजे बोध को बताती हैं. बधाई विमलेश जी.

    Reply
  10. चैन सिंह शेखावत says:
    11 years ago

    bahut gahre bhaav..
    sunder rachnaen..
    abhaar.

    Reply
  11. Patali-The-Village says:
    11 years ago

    मन छू लेनेवाली कविताएं| धन्यवाद|

    Reply

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अनहद कोलकाता साहित्य और कलाओं की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है। डिजिटल माध्यम में हिंदी में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ‘अनहद कोलकाता’ का प्रकाशन 2009 से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है। यह पत्रिका लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रगतिशील चेतना के प्रति प्रतिबद्ध है। यह पूर्णतः अव्यवसायिक है। इसे व्यक्तिगत संसाधनों से पिछले 12 वर्षों से लागातार प्रकाशित किया जा रहा है। अब तक इसके 500 से भी अधिक एकल अंक प्रकाशित हो चुके हैं।

सर्वाधिकार सुरक्षित © 2009-2022 अनहद कोलकाता by मेराज.

No Result
View All Result
  • साहित्य
    • कविता
    • कथा
    • अनुवाद
    • आलोचना
    • समीक्षा
    • संस्मरण
    • विविध
  • कला
    • सिनेमा
    • पेंटिंग
    • नाटक
    • नृत्य और संगीत
  • लेखक
  • गतिविधियाँ
  • विविध

सर्वाधिकार सुरक्षित © 2009-2022 अनहद कोलकाता by मेराज.