– अनहद
— पराग मांदले
हर ढेले के बदले में।
हस्ताक्षर: Bimlesh/Anhad
— पराग मांदले
हस्ताक्षर: Bimlesh/Anhad
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romanchak hai
romanchak hai………………..
[BUDDHI LAL PAL]
तमाम आशंकाओं के उलट
मौजूद रहूंगा मैं
तुम्हारे आँगन के किसी सूने कोने में
हमेशा
एक उदास खुशी के साथ
फल देने के लिए
तुम्हारे फेंके गए
हर ढेले के बदले में।
————-
अब
दसों दिशाओं को है मालूम
मेरी व्यथा
एक बस शायद
तुम्हें ही नहीं है पता।
पराग जी,कहानियों के साथ कवितायें भी लिखिये..हमें इंतज़ार रहेगा आपकी और ताज़ा कविताओं का.
बहुत ही मासूम कविता..बिल्कुल पराग भाई की तरह मासूम,,,
बहुत अच्छी कविता… पराग जी से आग्रह है कि वे कविताएं भी लिखते रहें… मेरी बधाइयां…
अरूण शीतांश, आरा