![]() |
मेरी कविताएं ही मेरा वक्तव्य हैं। |
दाड़ो दोई हाथ
हस्ताक्षर: Bimlesh/Anhad
![]() |
मेरी कविताएं ही मेरा वक्तव्य हैं। |
दाड़ो दोई हाथ
हस्ताक्षर: Bimlesh/Anhad
अनहद कोलकाता में प्रकाशित रचनाओं में प्रस्तुत विचारों से संपादक की सहमति आवश्यक नहीं है. किसी लेख या तस्वीर से आपत्ति हो तो कृपया सूचित करें। प्रूफ़ आदि में त्रुटियाँ संभव हैं। अगर आप मेल से सूचित करते हैं तो हम आपके आभारी रहेंगे।
गरिमा सिंह "शरीर में श्वेत रक्त कणिकाओं का घटना या बढ़ जाना नही बता सकता है सपनों के मरने की दर और उसे जिन्दा रखने की...
दिव्या श्री दिव्या श्री हिन्दी की युवतर कवि हैं और पिछले सालों में अपनी संवेदनात्मक एवं प्रेम विषयक कविताओं से हिन्दी जगत का ध्यान अपनी ओर...
गुंजन उपाध्याय पाठक 'मूर्खों की शौर्य गाथा में कभी ईश्वर इतना मजबूर नहीं था' इन पंक्तियों को लिखने वाली कवि गुंजन उपाध्याय पाठक के सरोकार गहन...
रुचि बहुगुणा उनियाल रुचि बहुगुणा उनियाल की कविताओं में जो बेचैनी और छटपटाहट है वह हर संवेदनशील मनुष्य के मन में है क्योंकि समय ही ऐसा...
पायल भारद्वाज पायल भारद्वाज युवतर एवं बेहद संभावनाशील कवि हैं। उनकी कविताओं में स्त्री के दर्द और बेवशी के साथ समय की विडंबना भी झलक रही...
अनहद कोलकाता साहित्य और कलाओं की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है। डिजिटल माध्यम में हिंदी में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ‘अनहद कोलकाता’ का प्रकाशन 2009 से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है। यह पत्रिका लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रगतिशील चेतना के प्रति प्रतिबद्ध है। यह पूर्णतः अव्यवसायिक है। इसे व्यक्तिगत संसाधनों से पिछले 12 वर्षों से लागातार प्रकाशित किया जा रहा है। अब तक इसके 500 से भी अधिक एकल अंक प्रकाशित हो चुके हैं।
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2009-2022 अनहद कोलकाता by मेराज.
आपने अपनी प्रस्तावना में सही लिखा – समकालीन कविताओं के बीच अंबर रंजना की इन कविताओं ने अपने शिल्प की वजह से अचानक चौंका सा दिया. उनके लय में अपनी ताल बिठाने में वक्त लगा जिसकी वजह से एकाधिक बार उनकी कविताओं को पढ़ना पड़ा. पर अंततः उनकी कविताओं से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सका.’दो’ और ’पाँच’ कुछ ज्यादा रुचिं. प्रस्तुत करने के लिए आपका शुक्रिया.उन्हें इन कविताओं के लिये मेरी बधाई प्रेषित करें.
बहुत बढिया है.. दिल को छू गईं…..
naye ka swagat hona hi chahiye !
in kavitaon mein chhayavadi daur ki jhalak milti hai… kavi ke prati meri shubhkamana.
बहुत बढिया है
अंबर की कविताएं सचमुच अलग तरह की हैं…कविता में यह लय की वापसी के संकेत हैं…आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं ..युवाओं को जगह दे कर…बधाई…अरूण शीतांश आरा
sundor kovita
आभार आप मित्रों का….