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Home कविता

संकलन “कविता से लंबी उदासी” की एक कविता

by Anhadkolkata
June 25, 2022
in कविता, साहित्य
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11
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सपना                                 

गाँव से चिट्ठी आई है                                                                        
और सपने में गिरवी पड़े खेतों की
फिरौती लौटा रहा हूँ

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पथराये कंधे पर हल लादे पिता
खेतों की तरफ जा रहे हैं
और मेरे सपने में बैलों के गले की घंटियाँ
घुंघरू की तान की तरह लयबद्ध बज रही हैं

समूची धरती सिर से पांव तक
हरियाली पहने मेरे तकिए के पास खड़ी है

गाँव से चिट्ठी आई है
और मैं हरनाथपुर जाने वाली
पहली गाड़ी के इंतजार में
स्टेशन पर अकेला खड़ा हूँ

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Comments 11

  1. Anonymous says:
    15 years ago

    और सपने में गिरवी पड़े खेतों की
    फिरौती लौटा रहा हूँ !!!vastvik jivan ki dukh sapne me sukh ban jate hain !yatharth ki kvita ! bdhai !

    Reply
  2. विमलेश says:
    15 years ago

    धन्यवाद उषा जी…

    Reply
  3. रविन्द्र आरोही says:
    15 years ago

    बिमलेश भाई,
    इस भयानक दौर में जहाँ किसान या तो खेती से पलायन कर रहा है या फिर आत्महत्या वहाँ ’मैं हरनाथपुर जाने वाली/पहली गाड़ी के इंतजार में/स्टेशन पर अकेला खड़ा हूँ । वाकई सुखद अनुभूति देता है।
    सौमित्र आनंद

    Reply
  4. विमलेश says:
    15 years ago

    thanks Soumita jee, aaplogon ka sath hi mera sambal hai

    Reply
  5. shwetpriya says:
    15 years ago

    गांव की दुनिया ही बड़ी अनोखी होती है।

    वहां की मिट्टी की खुश्बू बड़ी सोंधी होती है, जो हमारे दिल पर दस्तक भी देती है।

    सुबह की पहली किरण के साथ ही किसान अपने खेतों की ओर रुख करते हैं। जेठ की तपती दोपहरी में अपना खून- पसीना बहाते हैं। पर बदले में उन्हें क्या मिलता है….

    आज भी गाँवों में ऐसे किसानों की कमी नहीं है जो फाकाकशी में दिन बिता रहे हैं। किसान आत्महत्या करने को मजबूर है। मगर प्रशासन भी मूक दर्शक बना तमाशा देख रहा है।

    ऐसे हालात में जब जिन्दगी दुश्वार हो गयी हो। सपने भी गिरवी पड़ी जमीनों के ही आयेंगे। मगर इन हालातों में भी गाँव से पलायन कर शहर की ओर रुख करने की जगह, गांव में ही अपनी जड़ें मजबूत करने का हौंसला…….

    काबिले तारीफ है।

    श्वेता सिंह

    Reply
  6. mukta mandla says:
    15 years ago

    ब्लाग पर आना सार्थक हुआ
    काबिलेतारीफ़ है प्रस्तुति
    आपको दिल से बधाई
    ये सृजन यूँ ही चलता रहे
    साधुवाद…पुनः साधुवाद
    satguru-satykikhoj.blogspot.com

    Reply
  7. रश्मि प्रभा... says:
    15 years ago

    waah waah…. shandaar abhivyakti

    Reply
  8. Nazia says:
    15 years ago

    kavita padhkar gao ki yaad aa gayi……..aur shabdo ne mitthi ko sondhi mahak ki lalak poori kar di…..badhayi

    Reply
  9. Pawan Kumar says:
    15 years ago

    कविता क्या एक खाका सा खिंच गया है…कृषक जीवन का इस पोस्ट में ! रामकुमार वर्मा के शब्दों में हम तो यही कहेंगे " हे ग्राम देवता नमस्कार…..सोने चांदी से नहीं….. तुमने मिटटी से किया प्यार…" देश के कृषकों को हमारा नमन…..सुन्दर लेखन के लिए आपको बधाई

    Reply
  10. sakhi with feelings says:
    15 years ago

    kya baat hai..ek sukhad anubhuti hui yaha aakar

    Reply
  11. Anonymous says:
    3 years ago

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    Reply

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