हस्ताक्षर: Bimlesh/Anhad
वंदना मिश्रा की कविताएँ
वंदना मिश्रा वंदना मिश्र की कविताओं में उन मामूली स्त्रियों के दुःख दर्ज हैं जो हरदम हमारे आस-पास रहकर हमारे जीवन को आसान बनातीं हैं। यूं...
हस्ताक्षर: Bimlesh/Anhad
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जरूरतमंद की दुनियां में कमी कहाँ ||
भरसक मदद करें||
अपने को याद करने वालों का ख्याल रखें ||
और क्या ??
बहुत-बहुत बधाई ||
bhaut khubsurat…
अद्भुत ………………….वाकई आपकी ज़रुरत है विमलेश जी ! बहुत सुन्दर कविता !
ultimate …………… bahut hi b'ful really enjoyed. thanks 🙂
behtreen rachna
Bhaiya bahut dino baad hi sahi aaj apke blog per pahunch aaya. apki "HICHKI" se rubru hua aur akshar tasveerr banke mansh patal per chha gaye.. bahut hi behtarin kavita lagi aapki…
aapka shubhchintak
Shiv Govind Prasad
http://www.uptti.ac.in
khubsuart 'hichaki' hai jo itni sari baaton ko yaad dilane ke sath-sath apne jarurat ke ehsas bhi kra jati hai …vimlesh bhaiya bahut sunder kavita
आप सभी मित्रों का बहुत-बहुत आभार
दूर कहीं कोई पुराना जाना-पहचाना ही हमें याद नहीं कर रहा होता जब हिचकी आती है, जिंदगी की आपा-धापी में छूट गये मोर्चे, खेत-खलिहान, चैता की तान और अपनी किसी पुरानी बिसरा दी गयी कविता में शामिल बुजुर्ग की सिसकी हमें भी याद हो आती है जब हिचकी आती है — मुझसे शायद यही कह रही है आपकी कविता.
अच्छी कविता…. बधाई…
शुक्रिया प्रशांत भाई…
badhiya kavita .kafi achha laga .
मेरी टिप्पणियाँ कहाँ गई???
सुन्दर.. बहुत सुन्दर..
शब्द, भाषा, शैली ये सब तो बहुत बाद में सोचेंगे, पर कविता का विषय, आपकी सोच और एक छोटी सी घटना को इतने गहरे से जोड़ देने की आपकी कला ही मुग्ध किये रहती है !
आपने डूब कर लिखा और हम लोगों को भी उसमें गोते लगाने का अवसर दिया.. धन्यवाद 🙂