अभिज्ञात की कविताएँ
हिन्दी भाषा के महत्वपूर्ण कवि 'अभिज्ञात' कथा एवं कविता लेखन के क्षेत्र में लगभग चार दशकों से सक्रिय हैं तथा महत्वपूर्ण योगदान दे रहें है । वे कला की अन्य विधाएं...
हिन्दी भाषा के महत्वपूर्ण कवि 'अभिज्ञात' कथा एवं कविता लेखन के क्षेत्र में लगभग चार दशकों से सक्रिय हैं तथा महत्वपूर्ण योगदान दे रहें है । वे कला की अन्य विधाएं...
डॉ. अभिज्ञात को तीसरा मनीषा त्रिपाठी स्मृति अनहद कोलकाता सम्मान ◆◆ कोलकाता। अनहद कोलकाता और मनीषा त्रिपाठी फाउडेंशन द्वारा स्थापित तृतीय मनीषा त्रिपाठी स्मृति सम्मान कवि, कहानीकार, अभिनेता, चित्रकार डॉ. अभिज्ञात को...
संजय बरुडे मराठी के एक जाने माने हुए कवि हैं । हिन्दी में भी उन्होंने बेहतरीन कविताएँ लिखीं हैं । अनुवाद के क्षेत्र में उनका काम अत्यंत महत्वपूर्ण तथा सराहनीय है ।...
विशाखा मुलमुले की कविताएँ भावों के एक जादुई वितान मे रचि सुख -दुख और जीवन के रहस्य से पर्दा उठाती कुछ कहतीं हैं । फूल -पत्ते ,सुगंध -खुशबू से भरे उनके शब्द...
सविता पाठक की एक कहानी 'जुड़हिया पीपल और जला दिल' हम अनहद कोलकाता पर पहले भी पढ़ चुके हैं । इसबार प्रस्तुत है उनकी नयी कहानी 'हिज्र की शब' । केस नम्बर पांच सौ...
रंजीता सिंह गहन अनुभूति और साकारात्मक संवेदना की कवि हैं - उनकी कविताएँ पढ़कर निश्चय ही इस पर यकीन कायम होने लगता है। उनकी कविता की संवेदना किसी मजबूर और सतायी हुई...
जसवीर त्यागी अपनी कविताओं में न केवल संबंधों के बारीक धागे बुनते हैं बल्कि वे शब्दों के माध्यम से भावनाओं की एक ऐसी मिठास भी उत्पन्न करते हैं कि अपने भी कुछ...
आबल-ताबल – ललन चतुर्वेदी परसाई जी की बात चलती है तो व्यंग्य विधा की बहुत याद आती है। वे व्यंग्य के शिखर हैं - उन्होंने इस विधा को स्थापित किया, लेकिन...
युवा कवि और पत्रकार 'प्रणव प्रियदर्शी' लगभग कई वर्षों से लगातार कविता के क्षेत्र में उचित हस्तक्षेप कर रहें हैं । प्रस्तुत कविताएँ उनके सद्य प्रकाशित संग्रह 'अछूत नहीं हूँ मैं '...
अनहद कोलकाता साहित्य और कलाओं की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है। डिजिटल माध्यम में हिंदी में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ‘अनहद कोलकाता’ का प्रकाशन 2009 से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है। यह पत्रिका लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रगतिशील चेतना के प्रति प्रतिबद्ध है। यह पूर्णतः अव्यवसायिक है। इसे व्यक्तिगत संसाधनों से पिछले 12 वर्षों से लागातार प्रकाशित किया जा रहा है। अब तक इसके 500 से भी अधिक एकल अंक प्रकाशित हो चुके हैं।
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