अर्पण कुमार की नई कविताएँ
अर्पण कुमार अर्पण कुमार पिछले ढाई दशकों से कविता की दुनिया में सक्रिय हैं और अब तक उनके तीन संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं जो अपने तेवर और कंटेट के मामले में...
अर्पण कुमार अर्पण कुमार पिछले ढाई दशकों से कविता की दुनिया में सक्रिय हैं और अब तक उनके तीन संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं जो अपने तेवर और कंटेट के मामले में...
कृष्णमोहन झा के कविता का संसार पृथ्वी और आकाश से लेकर चिटियों तक फैला हुआ है – कवि की स्मृतियाँ कई बार चकित करती हैं और चकित करता है उन स्मृतियों...
सलीका चाहिए आवारगी में (सन्दर्भ ‘आवारा मसीहा’) वंदना चौबे “बहुत मुश्किल है बंजारा मिज़ाजी सलीका चाहिए आवारगी में” ...
विनय कुमार की कविताएँ सहज-सरल होती हुई भी सतर्कता और ध्यान रखकर पढ़ने की मांग करती हैं। वे जिस विषय पर कविता लिख रहे होते हैं उसके बाह्य के साथ अभ्यंतर...
फड़फड़ाती जुगुप्सा, निराशा और भय के बीच कहानीः उपन्यास 'हरामी' यतीश कुमार कुछ किताबें शुरुआती पन्नों से ही पाठकों को अपनी गिरफ्त में लेना शुरू कर देती हैं। अपने अलग मिज़ाज़ और...
बेचूलाल का भूत उर्फ बेलाकाभू पंकज मित्र पंकज मित्र जब से ‘क़यामत से क़यामत तक’ को ‘क्यू एस क्यू टी’ और ‘दिलवाले दुल्हनिया लेजाएँगे’ को डी डी एल जे कहने का...
हिन्दी का साहित्यिक इतिहास कैसे लिखें? डॉ. अजय तिवारी डॉ. अजय तिवारी साहित्य के इतिहास-लेखन को लेकर लंबे समय से चिंता व्यक्त की जाती रही है। पिछले दिनों भारतीय भाषा...
सन्तति, अवतरण और लीलाएँ मदन पाल सिंह बाबा अलाव के पास खाँसता था। साथ ही सूखे-झुर्रीदार घुटनों पर ठुड्डी टिकाये, दुविधा और ख़ुशी के भँवर में डूबता-उतरता, आग कुरेदने लगता... ...
समाज की दशा और दिशा – पाँचवी दिशा सुषमा मुनीन्द्र सुषमा मुनीन्द्र कविता, कहानी, अनुवाद, कथेतर गद्य जैसी रचनाधर्मिता से अपने रचना संसार को समृद्ध...
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