भूमि अधिग्रहण का ‘पुरस्कार’मृत्युंजय पाण्डेयमृत्युंजय पाण्डेय युवा आलोचक और प्राध्यापक हैं।‘पुरस्कार’कहानी की शुरुआत ‘भूमि अधिग्रहण’के उत्सव और पुरस्कार वितरण समारोह ...
राष्ट्रवाद की लूट है... अजय तिवारी अजय तिवारीराष्ट्र की सत्ता प्राचीन है, राष्ट्रवाद की अवधारणा आधुनिक. राष्ट्र...
देशप्रेम किसे कहते हैंशंभुनाथशंभुनाथअतीत से आलोचनात्मक संबंध तोड़ना और उससे संकीर्ण राजनैतिक संबंध स्थापित करना अंध-राष्ट्रवाद का लक्ष्य होता है।...
Normal 0 false false false EN-US X-NONE HI भोजपुरी का दुखमृत्युंजय पाण्डेयमृत्युंजय पाण्डेय युवा आलोचक और प्राध्यापक हैं। हिन्दी की...
साहित्य की नई सुबह कब आएगी ?भरत प्रसाद पृथ्वी पर आज तक विकास के जितने आश्चर्य दिखे या दिख रहे...
Normal 0 false false false EN-US X-NONE HI यात्रा और यात्री का आख्यानः अन्तिम अरण्यडॉ0 शिवानी गुप्ताभाषायी सादगी और रोमानियत...
युवा कथाकार-आलोचक राकेश बिहारी कथा लेखन के साथ ही आलोचना में भी सक्रिय और महत् हिस्सेदारी रखते हैं। कथा संग्रह...
लेखक संगठनों की भूमिका और हिन्दीःकुछ बेतरतीब खयालनील कमलनील कमलसोचता हूं कि इतने सारे मजहब न होते तो भी दुनिया...
Normal 0 false false false EN-US X-NONE HI केदारनाथ सिंह के काव्य में लोक संस्कृति और लोकतंत्रविमलेश त्रिपाठी“पिछले 20-21...
Normal 0 false false false EN-US X-NONE HI एक बड़े कवि की बड़ी कविताः नीम के फूलविमलेश त्रिपाठीएक कवि के...
अनहद कोलकाता साहित्य और कलाओं की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है। डिजिटल माध्यम में हिंदी में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ‘अनहद कोलकाता’ का प्रकाशन 2009 से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है। यह पत्रिका लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रगतिशील चेतना के प्रति प्रतिबद्ध है। यह पूर्णतः अव्यवसायिक है। इसे व्यक्तिगत संसाधनों से पिछले 12 वर्षों से लागातार प्रकाशित किया जा रहा है। अब तक इसके 500 से भी अधिक एकल अंक प्रकाशित हो चुके हैं।
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2009-2022 अनहद कोलकाता by मेराज.