• मुखपृष्ठ
  • अनहद के बारे में
  • रचनाएँ आमंत्रित हैं
  • वैधानिक नियम
  • संपर्क और सहयोग
No Result
View All Result
अनहद
  • साहित्य
    • कविता
    • कथा
    • अनुवाद
    • आलोचना
    • समीक्षा
    • संस्मरण
    • विविध
  • कला
    • सिनेमा
    • पेंटिंग
    • नाटक
    • नृत्य और संगीत
  • लेखक
  • गतिविधियाँ
  • विविध
  • साहित्य
    • कविता
    • कथा
    • अनुवाद
    • आलोचना
    • समीक्षा
    • संस्मरण
    • विविध
  • कला
    • सिनेमा
    • पेंटिंग
    • नाटक
    • नृत्य और संगीत
  • लेखक
  • गतिविधियाँ
  • विविध
No Result
View All Result
अनहद
No Result
View All Result
Home कविता

संतोष अलेक्स की नई कविताएँ।

by Anhadkolkata
June 25, 2022
in कविता, साहित्य
A A

Related articles

अर्चना लार्क की सात कविताएँ

नेहा नरूका की पाँच कविताएँ

संतोष अलेक्स

संतोष अलेक्स युवा कवि और अनुवादक हैं। उनके कई संग्रह सहित अनुवाद की कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। संतोष सरल-सहज भाषा के साथ गहरी संवेदना के कवि हैं। 
आज उनका जन्मदिन है। संतोष जी को अनहद कोलकाता की ओर से ढेरों बधाईयाँ। आइए पढ़ते हैं उनकी कुछ नई अप्रकाशित कविताएँ।
आपकी प्रतिक्रिया का इंतजार तो रहेगा ही।

                
संतोष अलेक्‍स की कविताएँ

                
                 
                हमारे बीच का मौन
                  प्रेम की तुम्‍हारी अपनी परिभाषा है
                  जो मेरी परिभाषा
                  से काफी भिन्‍न है
                  तुम्‍हारे अपने तर्क हैं
                  मेरे अपने 
                  खैर
                  मैं कुछ कहना नहीं चाहता
                  कहता भी तो तुम
                  शायद ही सुनती
                  मैं पूछना चाह रहा था कि
                  अब कमर दर्द कैसा है
                  तुमसे मिलना
                  एक संयोग था
                  हाथ थामना
                  साथ जीना
                  छूट जाना
                  पुन:  ताल मेल बैठाना
                  यहां तक आकर
                  संतुलन बनाए रखना कठिन है
                  फिसलने का डर रहता है
                  चोट लगने का भी
                  हमारे बीच का मौन
                  बहुत खुबसूरत था
                  तुम्‍हारा चुप होना
                  महज खामोशी नहीं थी
                  यह शायद नकली ठहराव था
                  तुम्‍हें लगा कि मैं चिढ जाऊंगा
                  तुम मेरी सबसे बड़ी सौग़ात हो
                  बिल्‍कुल जीवन की तरह
                  जैसे थोड़ा नमक
                  थोड़ा पानी
मेरा सच अपना है
अचानक लाइन चली गई
मोमबत्‍ती जलाने की कोशिश में
हाथ जल गया
मोमबत्‍ती की रोशनी में
हाथ की छोटी, बड़ी
हल्‍की, गहरी रेखाएं दिखाई दी
जिनमें यादें पिरोई
हुई थी
बीज की
मिट्टी की
गिल्‍ली डंडा खेलने की
नन्‍हें की स्निग्‍ध स्‍पर्श की
पहली बार झूठ बोलने की
विदा करने पर बहन के गर्म
आलिंगन की
टूटे खपरैल की
हथेली की रेखाएं
शायद बढी हों या
धुंधली हो गई हों
मगर घटनाएं सच है
इसे औरों के संदर्भ में
परखना मत
चूंकि मेरा सच अपना है 
गड़ेरिया
भेड़ों को हांकते हुए 
ले जा रहे गडेरिए का दृश्‍य
कैमरे में दिखता था आकर्षक
आकर्षक नहीं था उसकी जिंदगी
सारे भेड़ेां पर देना पड़ता था ध्‍यान
एक ही दिशा में जा रहे थे भेड़
एक ही दशा में जी रहा था वह
जिंदगी भर एक ही काम करते हुए
जैसे कोई झरना गुजरता है
अपने सीमाबद्ध रास्‍तों से
चिटिठयां
दुनिया को
छोटे कागज में समेटती हैं ये.
बेटी का पहला खत पढ़कर
समझ गया माहौल घर का. याद है,  ज्‍योतिषी ने तो दस में
दस नंबर दिए थे. पढा लिखा लडका. अच्‍छे परिवार में जन्‍म.
मां बाप भी नौकरीरत.
आखिर गलती हुई कहां.
मेरी चिटठी उस तक पहुंचे
यही कामना है
भुटटा बेचती औरत
शाम का वक्‍त है
समुंदर किनारे सड़क से सटे
पैरेपट के तले
भुटटा बेचती है वह
उसकी गोदी में लेटा बच्‍चा
दूध पी रहा है
दूसरा जमीन में लोटता हुआ
उसके  पास पहुंचने की कोशिश में है
मोल तोल करता है ग्राहक
भुट्टे के लिए
शाम ढलते ही
मोल तोल भुटटे का नहीं
उसका होता है ।
संतोष अलेक्स
केरल के तिरूवल्‍ला में जन्‍म. हिंदी एवं मलयालम कवि. 23 किताबें प्रकाशित जिनमें कविता, आलोचना एवं अनुवाद शामिल. कविता एवं अनुवाद का प्रकाशन देश के चर्चित हिंदी, मलयालम एवं अंग्रेजी पत्रिकाओं में प्रकाशित. पिछले दो दशकों से पांच भाषाओं में अनुवाद के माध्‍यम से भारतीय साहित्‍य को समृद्ध कर रहे हैं. प्रथम सृजनलोक कविता सम्‍मान, पंडित नारायण देव पुरस्‍कार, दिवागीश पुरस्‍कार, तलशेरी राघवन स्‍मृति कविता पुरस्‍कार एवं साहित्‍य रत्‍न पुरस्‍कार से सम्‍मानित.
संपर्क 8281588229
इ मेल drsantoshalex@gmail.com

हस्ताक्षर: Bimlesh/Anhad

Anhadkolkata

Anhadkolkata

जन्म : 7 अप्रैल 1979, हरनाथपुर, बक्सर (बिहार) भाषा : हिंदी विधाएँ : कविता, कहानी कविता संग्रह : कविता से लंबी उदासी, हम बचे रहेंगे कहानी संग्रह : अधूरे अंत की शुरुआत सम्मान: सूत्र सम्मान, ज्ञानपीठ नवलेखन पुरस्कार, युवा शिखर सम्मान, राजीव गांधी एक्सिलेंस अवार्ड

Related Posts

अर्चना लार्क की सात कविताएँ

अर्चना लार्क की सात कविताएँ

by Anhadkolkata
June 24, 2022
3

अर्चना लार्क की कविताएँ यत्र-तत्र देखता आया हूँ और उनके अंदर कवित्व की संभावनाओं को भी महसूस किया है लेकिन इधर की उनकी कुछ कविताओं को पढ़कर लगा...

नेहा नरूका की पाँच कविताएँ

नेहा नरूका की पाँच कविताएँ

by Anhadkolkata
June 24, 2022
3

नेहा नरूका समकालीन हिन्दी कविता को लेकर मेरे मन में कभी निराशा का भाव नहीं आय़ा। यह इसलिए है कि तमाम जुमलेबाज और पहेलीबाज कविताओं के...

चर्चित कवि, आलोचक और कथाकार भरत प्रसाद का एक रोचक और महत्त संस्मरण

चर्चित कवि, आलोचक और कथाकार भरत प्रसाद का एक रोचक और महत्त संस्मरण

by Anhadkolkata
June 24, 2022
4

                           आधा डूबा आधा उठा हुआ विश्वविद्यालय                                                                                भरत प्रसाद ‘चुनाव’ शब्द तानाशाही और अन्याय की दुर्गंध देता है। जबकि मजा यह कि...

उदय प्रकाश की कथा सृष्टि  पर विनय कुमार मिश्र का आलेख

उदय प्रकाश की कथा सृष्टि पर विनय कुमार मिश्र का आलेख

by Anhadkolkata
June 25, 2022
0

सत्ता के बहुभुज का आख्यान ( उदय प्रकाश की कथा सृष्टि से गुजरते हुए ) विनय कुमार मिश्र   उदय प्रकाश ‘जिनके मुख देखत दुख उपजत’...

प्रख्यात बांग्ला कवि सुबोध सरकार की कविताएँ

प्रख्यात बांग्ला कवि सुबोध सरकार की कविताएँ

by Anhadkolkata
June 24, 2022
1

सुबोध सरकार सुबोध सरकार बांग्ला भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित कविता-संग्रह द्वैपायन ह्रदेर धारे के लिये उन्हें सन् 2013 में साहित्य अकादमी पुरस्कार...

Next Post

साहित्य की नई सुबह कब आएगी ? - भरत प्रसाद

भग्न नीड़ के आर-पार - अभिज्ञात

इंदिरा दाँगी की नई कहानी

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

अनहद कोलकाता साहित्य और कलाओं की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है। डिजिटल माध्यम में हिंदी में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ‘अनहद कोलकाता’ का प्रकाशन 2009 से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है। यह पत्रिका लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रगतिशील चेतना के प्रति प्रतिबद्ध है। यह पूर्णतः अव्यवसायिक है। इसे व्यक्तिगत संसाधनों से पिछले 12 वर्षों से लागातार प्रकाशित किया जा रहा है। अब तक इसके 500 से भी अधिक एकल अंक प्रकाशित हो चुके हैं।

सर्वाधिकार सुरक्षित © 2009-2022 अनहद कोलकाता by मेराज.

No Result
View All Result
  • साहित्य
    • कविता
    • कथा
    • अनुवाद
    • आलोचना
    • समीक्षा
    • संस्मरण
    • विविध
  • कला
    • सिनेमा
    • पेंटिंग
    • नाटक
    • नृत्य और संगीत
  • लेखक
  • गतिविधियाँ
  • विविध

सर्वाधिकार सुरक्षित © 2009-2022 अनहद कोलकाता by मेराज.