विमलेश की कविताएं समकालीन कविता में सार्थक हस्तक्षेप करती हैं – केदारनाथ सिंह
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विमलेश त्रिपाठी का काव्य संग्रह ‘हम बचे रहेंगे’ का लोकार्पण |
कोलकाता की महत्वपूर्ण संस्था सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन की ओर से 27 नवंबर, 2011 को समकालीन कविता के युवा हस्ताक्षऱ एवं महत्वपूर्ण कथाकर विमलेश त्रिपाठी की कविता की किताब हम बचे रहेंगे का लोकार्पण, कोलकाता के यूनिवर्सिटि इंस्टिट्यूट हॉल में वरिष्ठ एवं समय के सबसे महत्वपूर्ण कवि केदारनाथ सिंह के हाथों संपन्न हुआ। विमलेश त्रिपाठी का यह पहला काव्य संग्रह है और यह रेखांकनीय है कि 2011 का सूत्र सम्मान भी उन्हें प्रदान किए जाने की घोषणा हुई है। केदारनाथ सिंह ने उक्त समारोह में विमलेश की कविताओं की कुछ महत्वपूर्ण विन्दुओं की ओर संकेत करते हुए उनकी कविता को अलहदेपन से युक्त तथा समकालीन कविता में एक सार्थक हस्तेक्ष बताया। उन्होंने कहा कि विमलेश की कविताओं में एक सामुदायिकबोध है जो हाल की कविताओं में बहुत कम होता गया है। एक संकलन में और वह भी पहले संकलन में एक साथ इतनी अच्छी कविताओं का होना हमें आश्वस्त करता है। उन्होंने कहा कि विमलेश की कुछ कविताएं प्रचलित मुहावरों की याद तो दिलाती हैं लेकिन उन मुहावरों का इस्तेमाल करते हुए विमलेश बहुत कुछ नया और अलहदा कह पाते हैं, और यह कवि की क्षमता प्रमाणित करता है। उनका कहनाम था कि कवि के इस संकलन में उसका संपादन कौशल तो झलकता ही है, साथ ही कविताओं में आंचलिक शब्द इस तरह से आए हैं कि वे हिन्दी में घुलमिल कर एक अलग तरह के अहसासों से हमें भर जाते हैं। केदार जी ने विमलेश की कविताओं में आए कई आंचलिक शब्दों को उद्धरित करते हुए कहा कि लोक के शब्दों का इस्तेमाल विमलेश की कविताओं में बेहद प्रासंगिक और अर्थगर्भित हैं।
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हम बचे रहेंगे – विमलेश त्रिपाठी (कविता )
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उक्त समारोह में महत्वपूर्ण युवा आलोचक प्रफुल्ल कोलख्यान, वरिष्ठ आलोचक डॉ. शंभुनाथ, महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के कोलाकाता शाखा के प्रभारी डॉ. कृपाशंकर चौबे, महत्वपूर्ण युवा कवि नीलकमल सहित कोलकाता के तमाम लोग मौजूद थे। डॉ. शंभुनाथ ने विमलेश को एक महत्वपूर्ण कवि ही नहीं वरन् एक महत्वपूर्ण कथाकार के रूप में रेखाकित किया। उन्होंने कहा की विमलेश का अपने परिवेश और गांव से गहरा जुड़ाव है, उनकी कविताएं इसकी साक्षी हैं।
प्रफुल्ल कोलख्यान ने कविता की विधा को अबौधिक क्रिया कहते हुए रेखांकित किया कि विमलेश की कविताएं इसलिए महत्वपूर्ण हो जाती हैं कि वे कविता और जीवन दोनों में ही बुद्धि की जगह भावना को अत्यधिक महत्व देते हैं।
युवा कवि नीलकमल ने विमलेश की कविताओं पर बोलते हुए कहा कि प्रेम और विश्वास विमलेश की कविताओं के केन्द्र में हैं, विमलेश कविता लिखने के लिए किसी ट्रिक का इस्तेमाल नहीं करते, उनकी कविताएं उनके परिवेश की उपज हैं। उन्होंने कहा कि उनकी कविताएं उस युवा की कविताएं जो “कक्षा के सबसे पिछले बेंच पर बैठा रहने वाला एक मासुम है जिसे एक लड़की अपनी मुट्ठी में करीने से रक्खा हुआ बसंत सैंपती है”।
कृपाशंकर चौबे ने उक्त अवसर पर विमलेश की एक कविता यकीन का पाठ किया और बांग्ला के महत्वपूर्ण कवि नवारूण भट्टाचार्य़ा की एक सद्प्रकाशित कविता के साथ तुलना करते हुए कहा कि विमलेश का यह संकलन बहुत महत्वपूर्ण है और बहुत जल्दी महात्मा गांधी अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय की कोलकाता शाखा में इसपर एक गहन परिचर्चा का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने विमलेश को बधाई देते हुए कहा कि विमलेश प्रेम और विश्वास के साथ उम्मीद के भी कवि हैं।
युवा आलोचक जय प्रकाश ने विमलेश की कविताओं की सहजता की तुलना गोरख पांडेय से की और उन्हें समकालीन कविता के एक महत्वपूर्ण कवि के रूप में रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि विमलेश की कविताएं इतनी महत्वपूर्ण इसलिए हैं कि विमलेश कविता में जो दिखायी पड़ते हैं ठीक उसी तरह अपने जीवन में भी हैं। उनके यहां व्यक्तित्व और कृतित्व का वह साम्य मिलता है जो समकालीन परिदृश्य से गायब होता जा रहा है।.
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विमलेश त्रिपाठी |
उक्त अवसर पर सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन के रितेश पांडेय, मुकेश मंडल आदि लोगों द्वारा केदारनाथ सिंह और विमलेश की कविताओं की आवृति प्रस्तुत की गई। संचालन संस्था के सचिव डॉ. राजेश मिश्र ने और धन्यवाद ज्ञापन डॉ. संजय जयसवाल ने किया।
प्रस्तुतीः मनोज झा
हस्ताक्षर: Bimlesh/Anhad
हम सबकी कामना है कि आपका यह सग्रह समकालीन कविता की दुनिया में सार्थक हस्तक्षेप करे……मनोज जी को प्रस्तुति के लिए बधाई…ramji tiwari
Aapko bahut sari badhai.
badhayi ho..apne khabar bhi nahi ki..khair…bhagwan uttarotar pragti me sahayak ho apka