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Home कविता

नील कमल की एक अद्भुद कविता

by Anhadkolkata
June 25, 2022
in कविता, साहित्य
A A
3
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नील कमल समय के संजीदा कवि हैं । संपर्कः 09433123379

एक बार की बात
(बच्चों के लिये एक कविता)
एक बार की बात सुनो तुम
चमकीली वह रात सुनो तुम । 
अपने आंगन में   उतरी थी
तारों की बारात  सुनो तुम ॥
गोलू  आओ,   बेबू  आओ
निक्कू, चीनू तुम भी आओ ।
जब हम तुम जैसे बच्चे थे
मन के खरे और  सच्चे थे ।
क़लम डुबो कर लिखते जिसमें
शीशे की  दावात सुनो  तुम ॥
नीले स्याही का  जादू   जब
सिर चढ़ कर बोला करता था ।
कोरे पन्नों पर   सपनों  का
पंछी पर  तोला  करता  था ।
हर उड़ान में  शामिल  होती
अपने मन की बात सुनो तुम ॥
आम,बेर, इमली, जामुन  के
पेड़ हमारे बड़े  निकट   थे ।
गूलर, नीम और  बरगद के
पेड़ साथ ही खड़े विकट  थे ।
महुआ झरते  फूल  सुनहरे
पीपल झरते  पात सुनो तुम ॥
खेतों में पकते  अनाज  की
खुशबू से  मन भर जाता था ।
ढिबरी सांझ ढले जब  जलती
घन से घन तम डर जाता था ।
धुले-धुले से मन सबके  थे
नहीं कहीं थी घात सुनो तुम ॥
लिपे-पुते घर की देहरी पर
खुशियों का  बारहमासा था ।
राग रसोई का  मौसम तो
अपने घर अच्छा खासा था ।
कितने मन से हम खाते थे
तरकारी  और भात सुनो तुम ॥
विद्यालय था तीन कोस पर
कोस अढ़ाई  था   बाज़ार ।
दूरी बीच नहीं आती  थी 
चलते थे सब  कारोबार  ।
अपने आंगन  से  गंगातट
किलोमीटर सात सुनो तुम ॥
जब तुम कुछ लिख-पढ़ जाओगे
सचमुच आगे बढ़     जाओगे  ।
बचपन  अपना  याद करोगे 
घर आंगन  आबाद  करोगे  ।
मीठी यादों ने खिड़की   में
रक्खे होंगे  कान सुनो तुम ॥

हस्ताक्षर: Bimlesh/Anhad

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Comments 3

  1. रवि कुमार says:
    15 years ago

    बेहतर…

    Reply
  2. हरीश प्रकाश गुप्त says:
    15 years ago

    बालगीत अच्छा लगा। आभार। बच्चों को शायद कुछ लम्बा लगे।

    Reply
  3. Anonymous says:
    15 years ago

    बहुत शानदार कविता। रिदम और कथ्य दोनों में ही लाजवाब… बधाई…

    Reply

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अनहद कोलकाता साहित्य और कलाओं की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है। डिजिटल माध्यम में हिंदी में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ‘अनहद कोलकाता’ का प्रकाशन 2009 से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है। यह पत्रिका लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रगतिशील चेतना के प्रति प्रतिबद्ध है। यह पूर्णतः अव्यवसायिक है। इसे व्यक्तिगत संसाधनों से पिछले 12 वर्षों से लागातार प्रकाशित किया जा रहा है। अब तक इसके 500 से भी अधिक एकल अंक प्रकाशित हो चुके हैं।

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