नील कमल का काव्य संग्रह |
हस्ताक्षर: Bimlesh/Anhad
नील कमल का काव्य संग्रह |
हस्ताक्षर: Bimlesh/Anhad
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अनहद कोलकाता साहित्य और कलाओं की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है। डिजिटल माध्यम में हिंदी में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए ‘अनहद कोलकाता’ का प्रकाशन 2009 से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है। यह पत्रिका लोकतांत्रिक मूल्यों और प्रगतिशील चेतना के प्रति प्रतिबद्ध है। यह पूर्णतः अव्यवसायिक है। इसे व्यक्तिगत संसाधनों से पिछले 12 वर्षों से लागातार प्रकाशित किया जा रहा है। अब तक इसके 500 से भी अधिक एकल अंक प्रकाशित हो चुके हैं।
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तीनों कवितायें बेजोड्…………पढवाने के लिये हार्दिक आभार्।
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
प्रस्तुति कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (9/12/2010) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
बिमलेश जी .
नील कमल जी की सुन्दर कवितायेँ पढवाने के लिए हार्दिक धन्यवाद
वंदना
हाथ सुंदर लगते हैं
जब होते हैं किसी दूसरे के हाथ में
पूरी गरमाहट के साथ
हाथ खतरनाक लगते हैं
जब उतरते हैं किसी गर्दन पर
Waah! kyaa bat kahi hai aapne koi soche to ..teeno hi kavitaaye apne kathy me saarthak aur bahut hi upyogi…..
अच्छी अभिव्यक्ति, बधाई।
बहुत अच्छी प्रस्तुति …दाढ़ी और गाड़ी दोनों बढ़िया लगीं ..
कविता सिर्फ अभिव्यक्ति नहीं बल्कि जीवन को सुंदरता और कोमलता के साथ जीने का माध्यम है जिसमें सुखद घटनाओं के साथ दुखद घटनायें भी सहज शामिल हो जाती हैं साथ ही जीवन में बिखरे अदृश्य खतरों की तरफ संकेत करती कविता है नीलकमल जी की….पहले कविता संग्रह की बधाई….
"सपने रेत की तरह
पड़े रहते हैं चौड़े तटों पर
और बहती रहती है नींद
नदी की तरह"……
बिमलेश जी आभार जो नये संग्रह की कवितायें यहां शेयर किये….
Nilkamal ki kavitaen n sirf nid aur sapno me jivn sangharsh ko rekhankit krti hai blki dadhi ke bhane samay ke canvas par surkh safed rango ko bhi ujagar krti hai.dadhi par premranjan aimesh ki kavitaon se alag sandarbhit .shukriya bimlesh bhai.
bejod kavitaen!
teenon kavitaaen bahut badhiya hain. yatharth ko sapnon se alag karti aur sapnon ko jeevan kee sachchai se milati hui.
hamari shubhkaamnaaen.
neel kamal ji ko unke pratham sangrah ke prakashan par badhai.
बहुत अच्छी कविता है ।
बहुत ही बेहतरीन रचना…मेरा ब्लागःः"काव्य कल्पना" at http://satyamshivam95.blogspot.com/ आप आये और मेरा मार्गदर्शन करे….धन्यवाद
kavita achhi hai… brajesh bhai ne bahut hi achhi bat kahi hai…
बेहतरीन कविताएं….