संस्थापक और संपादक
विमलेश त्रिपाठी
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इसे व्यक्तिगत संसाधनों से पिछले 12 वर्षों से लागातार प्रकाशित किया जा रहा है।
अब तक इसके 500 से भी अधिक एकल अंक प्रकाशित हो चुके हैं।
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